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Makar Sankranti: हरिद्वार में उमड़ा आस्था का सैलाब, 3 लाख 80 हजार श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी - मकर संक्रांति

हरिद्वार में मकर संक्रांति पर्व पर गंगा घाटों में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा. सुबह से ही श्रद्धालुओं की गंगा घाटों में भीड़ देखने को मिली. पर्व पर श्रद्धालुओं ने श्रद्धा और आस्था के साथ पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाई. मकर संक्रांति के अवसर पर हरिद्वार में 3 लाख 80 हजार श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना करते हुए दान-पुण्य किया.

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Published : Jan 14, 2023, 9:11 AM IST

Updated : Jan 14, 2023, 9:21 PM IST

मकर संक्रांति पर हरिद्वार में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

हरिद्वार:धर्मनगरी हरिद्वार में मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. सुबह तड़के से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा घाटों पर पहुंचने लगे. मकर संक्रांति के अवसर पर हरिद्वार में 3 लाख 80 हजार श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना करते हुए दान-पुण्य किया. वहीं मकर संक्रांति पर जगह-जगह धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. कई जगह खिचड़ी का प्रसाद वितरण किया जा रहा है. कड़ाके की ठंड भी श्रद्धालुओं की आस्था को डिगा नहीं सकी और मानो श्रद्धा भाव देखकर सर्दी ने खुद ही चुप्पी साध ली हो. श्रद्धालु ठंड की परवाह किए बगैर गंगा में डुबकी लगाते दिखे.

गौर हो कि साल का पहला बड़ा गंगा स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति का है. इस स्नान पर्व का काफी महत्व है, क्योंकि मकर संक्रांति के पर्व के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इसी के साथ ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण भी हो जाते हैं. इसलिए मकर संक्रांति के स्नान को खास माना जाता है. हरिद्वार में मकर सक्रांति पर गंगा में स्नान करने वालों की भीड़ उमड़ रही है. देशभर से श्रद्धालु आकर यहां आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने के उपरांत तिल और खिचड़ी के साथ वस्त्रों का दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
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ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि पुराणों में उत्तरायण पर्व को विशेष स्थान दिया हुआ है. भीष्म पितामह उत्तरायण पर्व के लिए तीर शैय्या पर लेटे रहे थे. कहा जाता है कि जिसकी मृत्यु उत्तरायण पर्व में होती है, उनका जन्म पृथ्वी लोक पर नहीं होता. जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब उत्तरायण पर्व शुरू हो जाता है. मकर संक्रांति इतना बड़ा पर्व होता है कि सुबह की दिशा और दशा दोनों बदल जाती हैं. गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करके तिल खिचड़ी, वस्त्र का दान करने का विशेष महत्व है. इससे हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है, क्योंकि उत्तरायण का सूर्य सभी कष्टों का नाश करने वाला होता है.
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उत्तरायण पर्व सभी प्रदेशों में मनाया जाता है. पंडित मनोज त्रिपाठी ने कहा कि कहीं मकर संक्रांति, कहीं पर पोंगल और कहीं पर उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है. मगर इसका एक ही सार होता है कि अब सूर्य उत्तर दिशा की ओर आ गए हैं. क्योंकि यह दिशा देवताओं की प्राप्ति की होती है. इस दिन अगर अपने पितरों के निमित्त पिंडदान करते हैं, तो उससे आपके पित्र तृप्त होते हैं. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, आज से सूर्य भगवान मकर राशि में प्रवेश करेंगे. आज से ही उत्तरायण की शुरुआत हो जाएगी. इसके तहत 6 महीने दक्षिणायन में देवों की रात और 6 महीने उत्तरायण में देवों का दिन माना जाता है. आज से ही देवों के दिन शुरू हो जाएंगे और मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह आदि सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी आज से हो जाएगी.

मसूरी में किया गया खिचड़ी वितरण:मसूरी में भवन निर्माण मजदूर संघ द्वारा मकर संक्रांति के पावन पर्व पर शहीद भगत सिंह चौक पर खिचड़ी वितरण का कार्यक्रम किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मसूरी भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. इस मौके पर सभी धर्म के लोगों ने खिचड़ी ग्रहण कर मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया. मसूरी भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पटवाल न कहा कि सभी धर्मों के लोग एक दूसरे का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं और भाईचारे का संदेश देने का काम करते हैं. आचार्य उमेश नौटियाल ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने के अपना खास महत्व है. मकर संक्रांति का यह पर्व प्रत्यक्ष रूप से भगवान सूर्य से जुड़ा है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं और पर्व को भारत के अन्य हिस्सों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है.

Last Updated : Jan 14, 2023, 9:21 PM IST

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