उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

Nirjala Ekadashi 2022: हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए उमड़ा हुजूम, ऐसे मिलेगा पुण्य - निर्जला एकादशी का पौराणिक महत्व

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2022) मनायी जाती है. इस दिन गंगा स्नान कर पितरों को दान देना अति शुभ माना गया है. यही वजह है कि हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ रहा है. सुबह से ही लोग गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं.

Nirjala Ekadashi 2022
हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए उमड़ा हुजूम

By

Published : Jun 10, 2022, 11:10 AM IST

Updated : Jun 10, 2022, 11:37 AM IST

हरिद्वारः आज निर्जला एकादशी है यानि ऐसी एकादशी जिसे बिना जल ग्रहण किए ही व्रत रखकर पूरा किया जाता है. साथ ही गंगा स्नान किया जाता है. इस दिन पितरों के निमित्त पूजा अर्चना और पिंडदान आदि किया जाता है. जो भी व्यक्ति दान और पूजा करता है, उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इसी पुण्य को पाने के लिए हरिद्वार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, जो गंगा के निर्मल जल में स्नान कर पूजा अर्चना कर रहे हैं. हरकी पैड़ी समेत तमाम घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई है.

बता दें कि इस बार निर्जला एकादशी दो दिन पड़ रही है. पंचांग के मुताबिक, ज्येष्ठ शुक्ल की एकादशी तिथि 10 जून को सुबह 7 बजकर 28 मिनट के बाद शुरू हो चुकी है, जो 11 जून यानी शनिवार की शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगी. इन दोनों में एक तिथि 11 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखना उत्तम माना गया है, क्योंकि हिंदू धर्म में दिन की शुरुआत सूर्योदय से होती है और अगले दिन के सूर्योदय तक एक दिवस माना जाता है. इस नियमानुसार ही निर्जला एकादशी का व्रत शनिवार को भी रखा जा रहा है. शनिवार शाम एकादशी के बाद त्रयोदशी तिथि शुरू हो जाएगी. इस बार द्वादशी का क्षय हो गया है, इसलिए 11 जून को अति शुभ संयोग भी बन रहा है.

ये भी पढ़ेंःनिर्जला एकादशी व्रत करने से मिलता है 24 व्रतों का फल, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

निर्जला एकादशी पर सुबह सूर्योदय से लेकर और अगले दिन सूर्योदय होने तक निर्जल रहने का विधान बताया गया है, लेकिन गर्भवती स्त्रियों, बुजुर्ग और रोगी को निर्जल रहने का अधिकार नहीं है. वे ऐसा न करें. वो केवल उपवास ही करें. ऐसा माना जाता है कि आज के दिन यानी निर्जला एकादशी में जो व्यक्ति जल का दान करता है, अनंत काल के लिए उसके पितरों को इसकी तृप्ति होती है. साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला बताया गया है.

यही वजह है कि निर्जला एकादशी स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे हुए हैं. श्रद्धालुओं का कहना है कि गंगा स्नान कर उन्हें सुख की अनुभूति होती है. मोक्ष का मार्ग खुलता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. निर्जला एकादशी पर गंगा स्नान करने हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं. पूरे मेला क्षेत्र को 4 सुपर जोन, 16 जोन और 38 सेक्टर में बांटा गया है. सुपर जोन की व्यवस्था एएसपी स्तर के अधिकारी देख रहे हैं.

ये भी पढ़ेंःनिर्जला एकादशी की तिथि को लेकर असमंजस, जानें क्या है व्रत का उत्तम दिन और समय

निर्जला एकादशी का पौराणिक महत्व: निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2022) का पौराणिक महत्व है. मान्यता है कि महाभारत में भगवान कृष्ण ने इस व्रत का विधान महाबली भीमसेन को बताया था. इस दिन बिना जल ग्रहण किए इस व्रत को किया जाता है. एकादशी व्रतों का राजा माना जाता है. इस दिन जल दान, घटदान और वस्त्र दान करने का भी विशेष फल मिलता है. शास्त्रों के मुताबिक, जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है, वो अपने शारीरिक सामर्थ्य के अनुसार व्रत को करें.

कैसे करें पूजाःसुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करें. भगवान विष्णु के निमित्त व्रत का संकल्प करें. पूरे दिन निर्जल व्रत रखें और भगवान विष्णु का ध्यान करें. भगवान विष्णु को लाल फूलों की माला, धूप, दीप, नैवेद्य और पीले फल अर्पित करें और ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें. हो सके तो इस दिन गरीबों को दान भी करें. इस दिन के दान का विशेष महत्व है.

Last Updated : Jun 10, 2022, 11:37 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details