हरिद्वारःदीपावली के 15 दिन बाद यानी कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है. इस बार 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण लगने की वजह से देव दीपावली एक दिन पहले मनाई जा रही है. इसी कड़ी मेंकार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर विश्व प्रसिद्ध हरकी पैड़ी पर धूमधाम से देव दीपावली मनाई गई. इस मौके पर हरकी पैड़ी पर हजारों दीप जलाने के साथ आतिशबाजी भी की गई.
मान्यता है कि इस दिन देवता दिपावली मनाते हैं. पौराणिक कथाओं में इस बात का उल्लेख है कि त्रिपुरासुर नामक राक्षस के अत्याचारों से सभी त्रस्त हो चुके थे. इस राक्षस से मुक्ति दिलाने के लिए ही भगवान शिव ने इसका संहार कर दिया था. उसके आतंक से जिस दिन मुक्ति मिली थी, उस दिन कार्तिक पूर्णिमा का दिन था.
देव दीपावली पर दैवीय आभा से दमका हरकी पैड़ी. तभी से भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी पड़ा. इससे सभी देवों को अत्यंत प्रसन्नता हुई. तब सभी देवतागण भगवान शिव के साथ काशी पहुंचे और दीप जलाकर खुशियां मनाई. कहा जाता है कि तभी से ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली (Kartik Poornima diwali) मनाने का प्रचलन है.
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श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड एक अलौकिक स्थान है. यहां हर साल की भांति इस बार भी देव दिवाली बहुत ही धूमधाम से मनाई (Dev Deepawali festival Celebrated in Harki pauri) जा रही है. इस बार देव दिवाली पर पिछली बार से भी ज्यादा दीपक प्रज्वलित किए गए हैं, जो कि सभी के मन को भा रहे हैं.
वहीं, गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा ने कहा कि इस दिन दान और पुण्य करने का अत्यधिक महत्व है. इसी के साथ आज देव भी दिवाली मनाते हैं. वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि हमारा प्रयास रहेगा कि अगली बार सभी मठ मंदिरों और पूरे देश में देव दिवाली को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाए.
देव दीवाली के मौके पर हरकी पैड़ी पर पहुंचे हजारों श्रद्धालु खुश नजर आए. श्रद्धालुओं का कहना है कि हरकी पैड़ी पर आकर उन्हें का काफी अच्छा लगा. ऐसा नजारा उन्होंने पहली बार देखा है. हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. पूरे कार्तिक महीने में पूजा, अनुष्ठान और दीपदान का विशेष महत्व होता है.
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इस कार्तिक माह में ही देवी लक्ष्मी की जन्म हुआ था और इसी महीने में भी भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागे थे. कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाते हैं और शाम को मिट्टी के दीपक या दीया जलाते हैं. ऐसे में हरिद्वार में भी मां गंगा के विभिन्न तटों पर देव दीपावली मनाई गई. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र गंगा के तटों पर दीप दान कर देव दीपावली मना रहे हैं.