हरिद्वार:आज नवरात्रि के पहले दिन पूरे देश के साथ ही धर्मनगरी हरिद्वार के मंदिरों में भी मां शैलपुत्री की उपासना चल रही है. सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की खासी उमड़ रही है. मां मनसा देवी मंदिर में सुबह से श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंचने शुरू हो गए और लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई दिए. इस दौरान मंदिर परिसर माता के जयकारों से गुंजायमान रहा. हर साल नवरात्रि में मां मनसा देवी मंदिर के दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं.
Navratri 2023 Day 1: नवरात्रि के पहले दिन मां मनसा देवी मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, मां के जयकारों से गूंजा मंदिर परिसर - Haridwar Navratri festival
Navratri 2023 Day 1 आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना के लिए मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. वहीं नौ दिनों तक तमाम मंदिरों में ऐसी ही भीड़ देखने को मिलेगी. क्यों कि नवरात्रि के नौ दिन मां भगवती के अलग-अलग स्वरूपों को समर्पित है.
By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Oct 15, 2023, 9:50 AM IST
|Updated : Oct 15, 2023, 10:00 AM IST
हरिद्वार का मां मनसा देवी का मंदिर विश्व प्रसिद्ध हैं, जो सिद्ध पीठ भी है. यहा मां के दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं. मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु मां मनसा की सच्चे मन से उपासना करता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है. मां मनसा के मंदिर का वर्णन पुराणों में मिलता है. नवरात्रि के पहले दिन मां मनसा देवी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंचने शुरू हो गए और लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई दिए. इस दौरान मां के जयकारों से मंदिर परिसर गुंजायमान हो गया.
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पुराणों में कहा गया है कि मां मनसा देवी महर्षि कश्यप की मानस पुत्री थी. एक बार महिषासुर नाम के राक्षस का अत्याचार देव लोक के साथ ही पृथ्वी पर भी बढ़ गया. उसके अत्याचारों से पूरे देवलोक में हाहाकार मचा हुआ था. सभी देवता महिषासुर के अत्याचारों से परेशान हो उठे थे. उससे बचने का कोई रास्ता उन्हें नहीं दिखाई दे रहा था. तब देवताओं ने मां भगवती की स्तुति की. मां भगवती दुर्गा ने रूप बदल कर महिषासुर का वध किया और पृथ्वी लोक के साथ ही देवताओं को महिषासुर से मुक्ति दिलाई. महिषासुर का वध करने के बाद मां भगवती ने इसी स्थान पर आकर विश्राम किया था और फिर से अपने स्त्री रूप में आई थी. मां दुर्गा ने महिषासुर से मुक्ति दिलाकर देवताओं के मन की इच्छा पूरी की थी. इसलिए मां मनसा देवी कहलाई, तभी से यहां पर उन्हें पूजा जाता है.