हरिद्वार: विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया खत्म हो चुकी है. अब सभी प्रत्याशी अपने-अपने चुनाव प्रचार में जुट गए हैं. कांग्रेस ने इस बार हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से पूर्व सीएम हरीश रावत (Former CM Harish Rawat) की बेटी अनुपमा रावत (Congress candidate Anupama Rawat) को प्रत्याशी बनाया है. सबसे दिलचस्प यह है कि अनुपमा रावत को कांग्रेस ने उस सीट से प्रत्याशी घोषित किया है, जिस सीट से साल 2017 में उनके पिता हरीश रावत मुख्यमंत्री रहते हुए पराजित हुए थे. अब अनुपमा रावत के पास अपने पिता की खोई प्रतिष्ठा वापस पाने का मौका जरूर है.
बता दें, साल 2017 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी स्वामी यतीश्वरानन्द (BJP candidate swami yatishwaranand) ने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत को 12,278 वोटों से पराजित किया था. स्वामी यतीश्वरानन्द को 44,964 वोट प्राप्त हुए थे, जबकि हरीश रावत को 32,686 वोट ही प्राप्त हुए थे. बहुजन समाज पार्टी के मुकर्रम 18,383 मत प्राप्त करके तीसरे स्थान पर रहे थे.
अनुपमा रावत के पास पिता की प्रतिष्ठा वापस पाने का मौका एकतरफा हो सकता है चुनाव:बसपा के मुकर्रम द्वारा हासिल किए गए 18,383 वोट इस हार-जीत में बड़ी अहम भूमिका थे और बड़े पैमाने पर मुस्लिम वोट का एक तरफा पड़ना कहीं न कहीं हरीश रावत की हार का कारण भी बना था. मगर इस बार समीकरण कुछ और हैं. मुकर्रम अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और अनुपमा के साथ मिलकर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. अगर मुकर्रम अपने वोटों को अनुपमा के पक्ष में डलवाने में सफल हुए तो चुनाव कांग्रेस के लिए एकतरफ हो जाएगा. अगर ऐसा हुआ तो अनुपमा रावत बीजेपी प्रत्याशी स्वामी यतीश्वरानन्द को जीत की हैट्रिक लगाने से रोकने में भी सफल हो सकती हैं.
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साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भी हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी स्वामी यतीश्वरानन्द ने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी के इरशाद अली को महज 3,875 वोटों से पराजित किया था. स्वामी यतीश्वरानन्द को 25,159 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी इरशाद अली को 21,284 वोट प्राप्त हुए थे.
आंकड़ों पर एक नजर:हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट के जातीय आंकड़े देखे जाएं तो यहां सबसे अधिक दलित मतदाता लगभग 35 से 40 फीसदी हैं, जिनमें ओबीसी भी शामिल हैं. ठाकुर 22 फीसदी, ब्राह्मण 7 फीसदी, मुल्सिम समाज 20 फीसदी और पर्वतीय मतदाता 10 फीसदी है. क्षेत्र में एससी और ओबीसी के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक होने के चलते यह वोट जिधर जाएगा, उस पार्टी का प्रत्याशी जीतने की संभावना प्रबल रहती है. लेकिन जिस तरह से दलित समाज की भाजपा से नाराजगी की बात सामने आ रही है और अगर यह सही हुई तो अनुपमा को अपने पिता की हार का बदला लेने में सहायक भी हो सकता है. बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता भी हैं जो उनको उनके मिशन में सफल बना सकते हैं.
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समीकरण नहीं बलते तो जीतेंगी अनुपमा:कांग्रेस ने साल 2017 में सिटिंग सीएम के तौर पर हरीश रावत के चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ा था. जिसमें हरीश रावत ने उधम सिंह नगर की किच्छा विधानसभा सीट और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन मोदी की प्रचंड लहर के चलते हरीश रावत को हार का मुंह देखना पड़ा था. लेकिन इस विधानसभा चुनाव में ऐसे कोई भी समीकरण नहीं हैं. अगर यही रुख आगे बना रहा तो कांग्रेस प्रत्याशी के लिए विजय पाना आसान होगा.
कौन हैं अनुपमा रावत:अनुपमा रावत पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी हैं. इस विधानसभा चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से कांग्रेस की प्रत्याशी हैं. अनुपमा रावत इस समय कांग्रेस महिला कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव हैं. अनुपमा रावत ने कुरुक्षेत्र से शिक्षा प्राप्त की है. उनको पब्लिक रिलेशन और कंप्यूटर में डिप्लोमा प्राप्त है. अनुपमा रावत कांग्रेस संगठन से साल 2004 में जुड़ी और 2010 से संगठन में सक्रिय राजनीति में आईं. वह उत्तर प्रदेश की प्रभारी भी रही हैं. प्रदेश कांग्रेस में प्रदेश सचिव भी रही हैं और ऑल इंडिया महिला कांग्रेस में सचिव भी रही हैं.