हरिद्वार:प्रदेश में कोरोना का कहर अभी भी जारी है. कोरोना के कारण सरकार ने सभी लोगों को अपने-अपने घरों में रहने की अपील की है, लेकिन इस कोरोना के चलते डेढ़ साल से बच्चों का खेल-कूद बंद हो गया है. जिससे कारण बच्चे घरों में कैद रहते हुए बोर हो गए हैं. खासकर वे बच्चें जो खेल में ही अपना भविष्य बनाना चाहते हैं. वहीं, कोरोना के कारण घरों में कैद बच्चे तनाव का शिकार भी हो रहे हैं.
बच्चों और खेलों से जुड़े ट्रेनरों के अनुसार, जहां संक्रमण कम होने पर सरकार द्वारा बाजार और अन्य चीजों में राहत दी है तो वहीं बच्चों के खेलों की भी अनुमति देनी चाहिए.
कोरोना के कारण खेल गतिविधियों में लगा ब्रेक. देश और दुनिया में जिस तरह से कोरोना संक्रमण बढ़ा और उसके बाद पहले केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया तो वहीं संक्रमण की दूसरी लहर में कई प्रदेशों ने भी अपने स्तर से कोरोना कर्फ्यू लगाएं. जिस कारण पिछले डेढ़ वर्ष के दौरान स्पोर्ट्स से जुड़े बच्चे खेलकूद से दूर रहने को मजबूर हो गए हैं.
खेलों में दिलचस्पी रखने वाली सलोनी का कहना है कि वह ग्राउंड में रेस की तैयारी करने आती है, अनुमति न होने के कारण कई बार पुलिसकर्मी उनको वहां से हटने के लिए भी कह देते हैं. उसने प्रदेश सरकार से अपील की है कि सरकार को अन्य चीजों की तरह ही इस पोस्ट को भी अब खोले जाने की अनुमति दे देनी चाहिए.
वॉलीबॉल खेल से जुड़े लक्ष्य का कहना है कि पिछले 2 वर्ष से उनका खेल कोविड संक्रमण के चलते हैं बाधित रहा है. वह प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि स्पोर्ट्स को बढ़ावा देते हुए सरकार को चाहिए कि अन्य क्षेत्रों की भांति ही स्पोर्ट्स को भी चालू करने अनुमति दे देनी चाहिए. खासकर खुले मैदानों में जो खेल, खेले जाने हैं उनको जरूर अनुमति देनी चाहिए.
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स्पोर्ट्स एकेडमी चलाने वालों का कहना है कि आज के समय में बच्चों के माता-पिता कोरोना के चलते बच्चों को बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं. जिस कारण एकेडमी में न के बराबर ही बच्चे पहुंच रहे हैं. पिछले 2 साल से बंद पड़ी एकेडमी के कारण उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा है. बच्चों के न आने के कारण फीस भी नहीं मिल पा रही है. उन्होंने सरकार से अपील की है कि सरकार ने जिस तरह से बाजार खोले हैं और अन्य गतिविधियां भी चालू की है. उसी प्रकार सरकार को चाहिए कि वह खेलों की गतिविधियों को भी सुचारू रूप से चलाने की अनुमति दें.