हरिद्वार: जिला अधिकारी की कार्रवाई के बाद मुख्य शिक्षा अधिकारी विद्याशंकर चतुर्वेदी ने मामले में अपना पक्ष रखा है. उन्होंने बताया उनकी ड्यूटी निर्वाचन के कार्य में लगी हुई है. जिसके कारण शनिवार और रविवार को भी वह निर्वाचन के कार्य मे व्यस्त थे. जिसके कारण वे अपने दफ्तर में भी नहीं जा पाए. इतना ही नहीं उनके संज्ञान में भी नहीं था कि दफ्तर के बाबू छुट्टी के दिन कार्यालय में हो सकते हैं, उन्हें मीडिया के माध्यम से ही सम्बंधित कार्रवाई के बारे में पता चला है.
मुख्य शिक्षा अधिकारी विद्याशंकर चतुर्वेदी ने कहा कि उन्होंने ऐसा कभी सोचा भी नहीं था कि रविवार के दिन उनका कार्यालय खुला हो सकता है. मुख्य शिक्षा अधिकारी ने बड़ी बेबाकी के साथ कहा कि अधिकारियों को उनका पक्ष भी सुनना चाहिए था. वह अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रखेंगे. मुख्य शिक्षा अधिकारी ने कहा कि ना तो उनके कार्यालय में किसी की नियुक्ति होती और ना ही किसी को समायोजित किया जाता है. उनके खिलाफ कार्रवाई कैसे और क्यों कि गई यह उन्हें मालूम नहीं है.
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बता दें चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद प्रदेश में आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने के बाद भी अवकाश के दिन रविवार को दफ्तर खोल कर बैक डेट में अध्यापकों के समायोजन करने के मामले में जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने मुख्य शिक्षा अधिकारी विद्याशंकर चतुर्वेदी व मुख्य प्रशासनिक अधिकारी जोगेंद्र सिंह राणा के निलंबन की संस्तुति करते हुए शिक्षा सचिव को पत्र लिखा है. जिला अधिकारी विनय शंकर पांडे को दौलतपुर विद्यालय में आचार संहिता के बावजूद रविवार को नियम विरुद्ध कार्य की शिकायत मिली थी. जिसपर जांच कराई गई. जिसमें प्रथम दृष्टया उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई. आचार संहिता के बाद भी समायोजन की कार्यवाही की जा रही थी. इसपर दोनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए शिक्षा सचिव और निदेशक को निलंबन के लिए पत्र भेजा है.