हरिद्वारःछठी मैया और सूर्य की उपासना का महापर्व छठ की शुरुआत नहाय खाय के साथ हो गई है. हरिद्वार में भी पूर्वांचली लोक परंपरा, संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित छठ पूजा आयोजन समिति के तत्वावधान में महापर्व मनाया जा रहा है. धर्मनगरी के सभी घाटों पर पूर्वांचल समाज के लोग आस्था और उल्लास के साथ छठ पर्व मना रहे हैं. लोग सुबह से ही गंगा स्नान कर रहे हैं.
बता दें कि हरिद्वार में छठ पर्व को लेकर साफ सफाई की जा चुकी है. आचार्य भोगेंद्र झा ने बताया कि छठ धार्मिक आस्था एवं स्वच्छता का पर्व है. इसलिए साफ सफाई पर विशेष जोर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि छठ पर्व के पहले दिन नहाय खाय के बाद कद्दू की सब्जी बनायी जाती है. व्रत रखने वाले सबसे पहले इसे ग्रहण करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अलावा इसे खाने के कई सारे फायदे हैं.
डॉक्टर निरंजन मिश्रा ने कहा कि लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की (Chhath Puja 2022) की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व हिंदू पंचांग के मुताबिक छठ पूजा कार्तिक माह की षष्ठी से शुरू हो जाता है. लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ 28 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है.
चार दिवसीय पर्व का आगाजःआज शुद्धिकरण के बाद नहाय खाय होगा. जबकि, 29 को खरना में मीठी खीर का भोग लगाया जाएगा. मुख्य पर्व 30 अक्टूबर को होगा. उस दिन शाम के समय महिलाएं पानी में उतरकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी. जबकि, 31 अक्टूबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ का समापन होगा.
वहीं, डॉ. नारायण पंडित ने कहा कि नहाय खाय के व्रती भोर बेला में उठते हैं और गंगा स्नान आदि करने के बाद सूर्य पूजा के साथ व्रत की शुरुआत करते हैं. नहाय खाय के दिन व्रती चना दाल के साथ कद्दू-भात (कद्दू की सब्जी और चावल) तैयार करती हैं और इसे ही खाया जाता है. इसके साथ ही व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत को प्रारंभ करते हैं. नहाय खाय के साथ व्रती नियमों के साथ सात्विक जीवन जीते हैं और हर तरह की नकारात्मक भावनाएं जैसे लोभ, मोह, क्रोध आदि से खुद को दूर रहते हैं.
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