हरिद्वारः कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत आज हरिद्वार दौरे पर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने बहादराबाद स्थित उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के अतिथि गृह का भूमि पूजन और शिलान्यास किया. करीब पांच करोड़ रुपए की लागत से अतिथि गृह का निर्माण किया जाएगा.
कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत (Cabinet Minister Dhan Singh Rawat) ने कहा कि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय (Uttarakhand Sanskrit University) प्रदेश का सबसे अच्छा संस्कृत विश्वविद्यालय है. मास्टर प्लान के तहत पूरे विश्वविद्यालय का कैंपस तैयार किया जाएगा. विश्वविद्यालय परिसर में छात्राओं की सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है. इसके लिए 100 छात्राओं की क्षमता वाली बालिका छात्रावास का निर्माण (Sanskrit University Girls Hostel) कराया जाएगा, जो पांच मंजिला होगा. इसके अलावा यहां टीचिंग स्टाफ और नॉन टीचिंग स्टाफ के लिए भी आवासों का निर्माण कराया जा सकता है.
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के अतिथि गृह का शिलान्यास. ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में शिक्षा को बढ़ावा दे रही धामी सरकार, स्थापित होंगे संस्कृत ग्राम मंत्री रावत ने कहा कि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय को देश एवं विश्व का सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय बनाने के लिए सरकार कटिबद्ध है. इसके लिए देश के जो टॉप 10 विश्वविद्यालय हैं, उनके साथ एमओयू किया जाएगा. संस्कृत के पूरे सिस्टम को ठीक करने की दिशा में हम तेजी से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इससे पहले संस्कृत विवि को 20 करोड़ रुपए हॉस्टल निर्माण के लिए उपलब्ध कराए थे, जो लगभग बनकर तैयार हो गया है. एक महीने के भीतर इनकी शुरुआत भी जाएगी. उन्होंने कहा कि संसाधनों की कोई कमी नहीं है, जो भी कार्य करने हैं, उन्हें फास्ट मोड में किया जाएगा. जो भी अवस्थापना सुविधाएं यानी फर्नीचर आदि चाहिए, वो उपलब्ध कराई जाएगी.
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय को जानिएः उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय का मुख्य परिसर हरिद्वार में स्थित है. इस विवि के साथ उत्तराखंड के 44 महाविद्यालय संबद्ध हैं. इस विवि की स्थापना भारत सरकार की ओर से प्रस्तावित संस्कृत आयोग 1956-57 की अनुशंसा के आधार पर 21 अप्रैल 2005 को की गई थी. ताकि उत्तराखंड में संस्कृत शिक्षा के उन्नयन को बल दिया जा सके. यह विवि देश के विभिन्न संस्कृत विश्वविद्यालय में अपना स्थान बना चुका है. विश्वविद्यालय ने आधुनिक विषयों और विद्याओं को संस्कृत के साथ जोड़कर अध्ययन-अध्यापन की पहल की है.
ये भी पढ़ेंःउत्तराखंड में संस्कृत के पतन के लिए ब्यूरोक्रेट जिम्मेदारः डॉ राम भूषण बिजल्वाण