हरिद्वार: धर्मनगरी में वार्षिक गंगा बंदी के तहत हर साल सफाई का काम किया जाता है. इस साल गंगा बंदी के दस दिन बीत जाने के बाद भी घाटों की मरम्मत का काम नहीं किया गया है. जिसको लेकर गंगा प्रेमी और तीर्थ पुरोहितों ने विरोध दर्ज कराया है. वहीं, सिंचाई विभाग के अधिकारी बजट न होने की बात कह रहे हैं.
गंगा बंदी के बाद भी जारी नहीं हुआ बजट. दशहरे से लेकर दीपावली तक साफ-सफाई के नाम पर गंगनहर का पानी रोक दिया जाता है, जिसके चलते हरिद्वार में गंगा में पानी न होने के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट देखने को मिल रही है.
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तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित का कहना है कि त्योहारों के सीजन में गंगा बंदी का कोई औचित्य नहीं है. उनका कहना है कि गंगा आस्था का विषय है और श्रद्धालुओं को इस सीजन में गंगा स्नान नसीब न होना दुर्भाग्यपूर्ण है.वहीं, गंगा प्रेमियों का कहना है कि गंगा सफाई के नाम पर धांधली की जाती है. सफाई के लिए जो बजट जारी किया जाता है, उससे कोई काम नहीं किया जाता है.
हरिद्वार सिंचाई विभाग के एसडीओ विक्रांत सैनी का कहना है कि गंगा बंदी के दस दिन बाद भी उनके पास बजट नहीं आया है. साफ-सफाई के काम के लिए विभाग के बजट का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि उच्चाधिकारियों द्वारा बजट प्राप्त करने के प्रयास किये जा रहे हैं.