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दिल्ली में फिर से बनेगा संत रविदास मंदिर, संतों और बीजेपी विधायक ने जताई खुशी

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मंदिर के मैनेजमेंट के लिए एक समिति का गठन करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि समिति के सदस्य के तौर पर पूर्व सदस्य और अन्य केंद्र सरकार को आवेदन दे सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 6 सप्ताह में समिति के गठन का आदेश दिया है.

हरिद्वार

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Published : Oct 22, 2019, 4:55 PM IST

Updated : Oct 22, 2019, 6:02 PM IST

हरिद्वार:दिल्ली के तुगलकाबाद में तोड़े गए भगवान संत रविदास मंदिर का फिर से निर्माण किया जाएगा. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर हरी झंडी दे दी है. इस मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार 400 गज जमीन देगी. सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के इस फैसले का हरिद्वार में संतों और ज्वालापुर से बीजेपी विधायक सुरेश राठौर ने स्वागत किया है.

ज्वालापुर से बीजेपी विधायक सुरेश राठौर ने कहा कि केंद्र सरकार मंदिर का फिर से निर्माण कराएगी. इसके लिए वो भारत सरकार को बधाई देते हैं. राठौर ने बताया कि उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. सरकार ने इस मामले में निर्णय लिया है कि रविदास का मंदिर वैसा ही रहेगा जो पहले था. परिधि के अंदर मंदिर का सौंदर्यकरण होगा.

संतों और बीजेपी विधायक ने जताई खुशी

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राठौर ने बताया कि उन्होंने सरकार से मांग की थी कि चमार वाडा तालाब, जहां रविदास जी आते थे और स्नान करते थे वो और उनकी समाधि स्थल भी वैसी ही रहनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला रविदास मंदिर के हक में सुनाया है. इस मामले में 99 लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था सरकार ने उन्हें भी छोड़ने का फैसला लिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि मंदिर के मैनेजमेंट के लिए एक समिति का गठन करे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति के सदस्य के तौर पर पूर्व सदस्य और अन्य केंद्र सरकार को आवेदन दे सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 6 सप्ताह में समिति के गठन का आदेश दिया है.

क्या है मामला?
दिल्ली के तुगलकाबाद के जहांपनाह जंगल में स्थित संत रविदास के मंदिर को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने 10 अगस्त को तोड़ दिया था. दिल्ली समेत आस-पास के दलित समुदाय के लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया था. इससे पहले 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि गुरू रविदास जयंती समारोह समिति ने जंगल में स्थित इस स्थान को खाली न कर कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है.

Last Updated : Oct 22, 2019, 6:02 PM IST

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