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अखाड़ा परिषद अध्यक्ष विवाद: बीजेपी-कांग्रेस का 'तड़का', दोनों पार्टियों के अपने-अपने दावेदार

निरंजनी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरी के मौत के बाद से उनके उत्तराधिकारी और अखाड़े के नए अध्यक्ष को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब राजनीतिक दल भी अखाड़ों के इस सियासी दंगल में खूब दिलचस्पी दिखा रहे हैं. दरअसल, उत्तराखंड में कांग्रेस और बीजेपी नेता भी अखाड़ा परिषद अध्यक्ष पद के अलग-अलग दावेदारों को सपोर्ट कर रहे हैं.

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष विवाद
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष विवाद

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Published : Nov 10, 2021, 7:41 PM IST

Updated : Nov 10, 2021, 10:44 PM IST

हरिद्वार: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil parishad akhara parishad) के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध मौत (Suspicious death of Mahant Narendra Giri) के बाद से उनके उत्तराधिकारी और अखाड़े के नए अध्यक्ष को लेकर अभी भी विवाद की स्थिति है. जहां धर्मनगरी हरिद्वार (Dharmanagari Haridwar) में बीते 20 अक्टूबर को 7 अखाड़ों ने बैठक करके नए अध्यक्ष की जिम्मेदारी महानिर्वाणी अखाड़े (mahanirvani akhada ) के सचिव रविंद्र पुरी को दी थी तो वहीं संगम नगरी प्रयागराज में 25 अक्टूबर को निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी का चुनाव किया गया था.

ये विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. अब राजनीतिक दल भी अखाड़ों के इस सियासी दंगल में खूब दिलचस्पी दिखा रहे हैं. दरअसल, उत्तराखंड में कांग्रेस और बीजेपी नेता भी अखाड़ा परिषद अध्यक्ष पद के अलग-अलग दावेदारों को सपोर्ट कर रहे हैं. दोनों ही अध्यक्षों को बधाई संदेश व मिलने का सिलसिला जो तब शुरू हुआ वो अब तक चल रहा है. हालांकि, इसमें एक दिलचस्प बात ये देखने में आई है कि अखाड़ा परिषद के बने दोनों नए अध्यक्षों के पास अलग-अलग पार्टी के नेता ही मिलने जा रहे हैं.

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष विवाद

गौर करने वाली बात ये है कि जहां महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी (हरिद्वार में नियुक्त) से मिलने केवल कांग्रेस के नेता पहुंच रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी (प्रयागराज में नियुक्त) से मिलने केवल बीजेपी के नेता ही पहुंच रहे हैं.

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इसी कड़ी में बीती 5 नवंबर को कांग्रेसी दिग्गज और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी से मिलने पहुंचे थे, जिसके बाद कांग्रेस के कई नेता उन्हें बधाई संदेश देने उनके दक्षेश्वर मंदिर गए, लेकिन किसी भी बीजेपी के नेता ने ना तो उन्हें बधाई दी और न ही उनसे मिलने पहुंचे. वहीं आज (10 नवंबर को कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने भी उनसे मुलाकात की और आशीर्वाद लिया.

इतना ही नहीं, अखाड़ परिषद के ये दो अध्यक्ष मिलने आने वाली पार्टियों को सपोर्ट भी करते दिखाई दे रहे हैं. कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी से मुलाकात के बाद निरंजनी अखाड़े के सचिव और प्रयागराज में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नियुक्त हुए महंत रविंद्र पुरी का दावा है कि 2022 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने जा रही है.

कांग्रेस-बीजेपी ने चुने अपने अध्यक्ष: जिस तरह से बीजेपी और कांग्रेस के नेता नवनियुक्त अखाड़ा परिषद के अध्यक्षों से मिल रहे हैं, उससे साफ हो गया है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद में चल रही खींचतान में अपने-अपने दावदारों को चुन लिया है. हालांकि, जब इस मामले पर दोनों चुने गए अध्यक्षों से ईटीवी भारत ने फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि संतों से मिलने हर कोई आता है, हमारे दरवाजे सब के लिए खुले हैं. हम किसी भी पार्टी या जात धर्म को नहीं देखते हैं.

कहां-कहां चुने गए अध्यक्ष: गौर हो कि बीते 25 अक्टूबर को संगमनगरी प्रयागराज में दारागंज के मोरी गेट स्थित निरंजनी अखाड़ा के परिसर में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक हुई थी, जिसमें अखाड़ा परिषद के नए अध्यक्ष के रूप में निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी का चुना गया था. अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि का कहना था कि बैठक में जूना, निरंजनी, अग्नि, नया उदासीन, आनंद और आह्वान अखाड़े के संत मौजूद रहे जबकि निर्मोही अणि अखाड़े ने पत्र भेजकर बैठक में लिए जाने वाले फैसले का समर्थन किया.

इस चुनाव प्रक्रिया से निर्वाणी, दिगंबर, महानिर्वाणी, अटल और बड़ा उदासीन अखाड़े नदारद रहे. क्योंकि इससे अलग पिछले दिनों हरिद्वार में बैठक कर अखाड़ा परिषद के दूसरे गुट ने नए पदाधिकारियों का ऐलान किया था. उस बैठक में भी निर्मल और निर्मोही अणि अखाड़े के प्रतिनिधि शामिल हुए थे, और उस बैठक में महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी को अखाड़े के नया अध्यक्ष चुना गया था.

Last Updated : Nov 10, 2021, 10:44 PM IST

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