हरिद्वारःकिसानों की समस्याओं और प्रशासन की ओर से इसे गंभीरता से न लिए जाने के विरोध में भारतीय किसान यूनियन भानु के सदस्यों की सिटी मजिस्ट्रेट के साथ तीखी नोकझोंक हुई. इस दौरान किसान संगठन ने किसानों की समस्याओं से संबंधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट के मार्फत जिलाधिकारी को सौंपा. उनका आरोप है कि नेता आज किसानों के नाम पर अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं. सिर्फ कांग्रेस के इशारे पर देश में बीजेपी सरकार को अस्थिर करने के लिए आंदोलन चलाए गए.
किसानों से मिलने नहीं पहुंचे डीएम: दरअसल, हरिद्वार में किसानों की समस्याओं को लेकर भारतीय किसान यूनियन भानु गुट अलकनंदा घाट क्षेत्र में बैठा था. किसानों की समस्याओं से अवगत कराने के लिए उन्होंने जिला अधिकारी को मौके पर बुलाया था, लेकिन घंटों इंतजार कराने के बाद जिलाधिकारी तो नहीं पहुंचे, लेकिन उनके प्रतिनिधि के रूप में सिटी मजिस्ट्रेट अवश्य धरना स्थल पर पहुंच गए.
सिटी मजिस्ट्रेट से भिड़े भानु प्रताप. सिटी मजिस्ट्रेट से हुई भानु की नोकझोंक: जहां किसानों की मांग को लेकर किसान नेता भानु प्रताप सिंह की सिटी मजिस्ट्रेट से तीखी नोकझोंक हुई. जिसके बाद संगठन ने किसानों की समस्याओं के संबंध में एक ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा. साथ ही चेतावनी दी कि यदि अब भी किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं होता तो प्रशासन किसानों का उग्र आंदोलन झेलने के लिए तैयार रहें.
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क्या बोले भानु प्रताप सिंह:भारतीय किसान यूनियन भानु के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि भानु वो संगठन है, जिसने देश को दिखा दिया कि कुछ संगठन गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत के साथ थे. इसी तरह अलग-अलग क्षेत्रों में कुछ संगठन सिर्फ कांग्रेस की फंडिंग से चल रहे थे, उन्हें किसानों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं था. सिर्फ उन्हें करोड़ों रुपए की फंडिंग मिली थी. न तो उन्हें किसानों के भले से कोई लेना देना था और न ही वे चाहते थे कि यहां से किसानों का आंदोलन हटे.
उन्होंने आरोप लगाया कि जब से देश में बीजेपी की सरकार बनी है, तब से कांग्रेस उसे लगातार अस्थिर करना चाहती है. उन्होंने कहा कि हमारे जैसे अनुभवी किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बाद कोई नहीं हैं. आज कोई किसान नेता शराब माफिया है तो कोई खनन माफिया है और कोई किसानों के हितों को बेच अपनी जेबें भर रहा है.
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भानु प्रताप ने की किसान नेताओं की संपत्ति की जांच की मांग: भानु प्रताप ने सुप्रीम कोर्ट से मांग करते हुए कहा कि जितने भी किसान नेता हैं, इनकी बीते बीस साल की संपत्तियों की जांच होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट को उनकी भी 20 से 30 साल की संपत्ति की जांच सबसे पहले करनी चाहिए और यदि उसमें कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो उन्हें और उनके परिवार को जेल में डाल दें.
उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं पाया जाता तो उनका भी यही हाल होना चाहिए. जब से लालकिले पर खालिस्तानी झंडा लगाया गया था, तभी से किसान आंदोलन से किनारा कर लिया था. ऐसे लोगों का न केवल साथ देने से हमने इनकार किया, बल्कि ऐसे लोगों का विरोध करने का भी निर्णय लिया.