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राम मंदिर पर बाबा रामदेव का बड़ा बयान, कहा- मध्यस्थों को ज्यादा समय देने का कोई औचित्य नहीं

योग गुरु बाबा रामदेव ने राम मंदिर मामले में मध्यस्थों को एक बार फिर से समय दिए जाने का विरोध किया है. बाबा ने कहा कि मध्यस्थों को ज्यादा समय देने का कोई औचित्य नहीं है. मध्यस्थों को ज्यादा वक्त दिया तो ये पूरी तरह से न्याय के नाम पर अन्याय होगा.

हरिद्वार में राम मंदिर पर रामदेव का बयान

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Published : May 10, 2019, 5:47 PM IST

हरिद्वारः योग गुरु बाबा रामदेव ने राम मंदिर पर मध्यस्थों को ज्यादा समय देने को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि पहले से ही कोर्ट ने राम मंदिर मामले पर कई साल लगा दिए हैं. अब मध्यस्थों को और समय देना ये हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ और अन्याय है. वहीं, उन्होंने ममता बैनर्जी के पीएम मोदी को थप्पड़ मारने वाले बयान को लोकतंत्र का अपमान बताते हुए कहा कि इस तरह की भाषा का प्रयोग करने वालों को करारा जवाब मिलना चाहिए.

हरिद्वार में राम मंदिर मध्यस्था पर बोलते योग गुरू बाबा रामदेव.


योग गुरु बाबा रामदेव ने राम मंदिर मामले में मध्यस्थों को एक बार फिर से समय दिए जाने का विरोध किया है. बाबा ने कहा कि मध्यस्थों को ज्यादा समय देने का कोई औचित्य नहीं है. मध्यस्थों को ज्यादा वक्त दिया तो ये पूरी तरह से न्याय के नाम पर अन्याय होगा. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समेत कोई भी पंथ के हो सभी भगवान राम के पूर्वज हैं. उन्होंने कहा कि न्यायालय हो या उनके द्वार पर नियुक्त पैरोकारों से राम मंदिर पर जल्द न्याय होना चाहिए. अब राम मंदिर पर विलंब देश के करोड़ों हिंदूओं की आस्था के साथ खिलवाड़ है.

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बाबा रामदेव ने ममता बैनर्जी के बयान पर बोलते हुए कहा कि थप्पड़, जूते, चप्पल मारने, गाली गलौज करना यह लोकतंत्र का अनादर है. इस तरह की अमर्यादित भाषा, अशालीनता, अभद्रता, देश के हजारों शहीदों और संविधान का अपमान है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के मूल्यों और आदर्शों का पतन किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा. साथ ही ममता पर हमला बोलते हुए कहा कि इस तरह की भाषा का प्रयोग करने वालों को सबक मिलना चाहिए.

वहीं, सिख दंगों के मुद्दे को एक बार फिर से उठाए जाने पर बाबा ने कहा कि मुद्दे कभी मरते नहीं है. मुद्दे हमेशा जिंदा रहते हैं. चाहे वो सिख दंगे, राम मंदिर, हजारों करोड़ो के घोटाले समेत कई मुद्दे हमेशा जिंदा रहेंगे. यह पक्ष-विपक्ष की बात नहीं है. सबको अपनी बात प्रमाणिकता के साथ रखनी चाहिए. सभी को मंहगाई, बेरोजगारी, गरीबी, किसानों के मुद्दे, नौजवानों के हाथों को काम, राष्ट्र की सुरक्षा समेत सभी मुद्दे देश के लिए जरूरी हैं. इस पर भाषा की मर्यादा भी जरूरी है.

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