हरिद्वार: दुनिया भर में कोरोना वायरस का कोहराम मचा हुआ है. भारत में भी लॉकडाउन की वजह से पिछले 20 दिनों से सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. गंगा के घाट पूरी तरह से सुने पड़े हैं. लॉकडाउन का सबसे ज्यादा लाभ हमारे पर्यावरण और गंगा, यमुना सहित सभी नदियों को हुआ है. पर्यावरण पूरी तरह से साफ और स्वच्छ है और गंगा सहित सभी नदियां एकदम निर्मल रूप में बह रही है. वहीं, ज्योतिष इसे विशेष ज्योतिषीय योग की वजह से होना बता रहे हैं.
ज्योतिषीय आधार
प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डॉ प्रतीक मिश्रपूरी का कहना है कि हर 12 साल बाद जब बृहस्पति मकर राशि में आते हैं और सूर्य कुंभ राशि में तब धरती पर चार स्थानों पर कुंभ लगता है. मान्यता है कि इस अमृत योग में देवी देवता हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड में गंगा स्नान करने आते हैं. उनका कहना है कि बृहस्पति अपनी चाल की वजह से लगभग 84साल में एक बार मकर राशि में 12के बजाए 11साल में आते हैं.
इसी वजह से इस साल कुंभ 12के बजाए 11साल में पड़ रहा है. जब भी ऐसा होता है तो शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मकुंड में मानव का स्नान करना वंचित माना जाता है. इस योग काल में ब्रह्मकुंड में तब केवल देवी, देवता गंधर्व आदि स्नान करते हैं. हर 84साल में प्रकृति अपने आप ऐसी स्थितियां बना देती है.
वहीं, उन्होंने बताया कि ऐसा ही योग इससे पहले 1938, 1855, 1772, 1677, 1594, 1416 और 1333 में भी हो चुका है, जब बृहस्पति अपनी चाल की वजह से 12 के बजाय 11 साल में मकर राशि में आ गए थे. कलयुग में मानव का स्वभाव उग्र हो जाता है और तीर्थों की मर्यादा भंग होने लगती है, धरती पर कई तरह के दोष पैदा हो जाते हैं, ऐसे में प्रकृति एक कालखंड में इन दोषों को मुक्त करती है.
मिश्रपूरी का कहना है कि आज गंगा पवित्र और निर्मल रूप से देवी देवताओं का धरती पर स्वागत कर रही है और वृहस्पति 30 जून तक मकर राशि में रहेंगे तब तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी.