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हरकी पैड़ी पर दिखीं 200 साल पुरानी लिखावट, पुरातत्व विभाग खोलेगा राज

हरिद्वार स्थित हर की पैड़ी पर खुदाई के दौरान निकली प्राचीन सीढ़ियां चर्चा का विषय बनी हुई हैं. सीढ़ियों पर प्राचीन भाषा लिपियां हैं. धर्म नगरी हरिद्वार में 2021 में कुंभ का आगाज होने वाला है. जिसके लिए हरिद्वार में कई स्थाई और अस्थाई कार्य पूर्ण किए जाने हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण निर्माण कार्यों की गति पूरी तरह प्रभावित हो गई थी.

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Published : Nov 3, 2020, 5:32 PM IST

Updated : Nov 18, 2020, 4:28 PM IST

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर सौंदर्यीकरण के दौरान प्राचीन सीढ़ियां मिली हैं. सीढ़ियों पर प्राचीन भाषा लिपियां हैं. धर्मनगरी हरिद्वार में 2021 में कुंभ का आगाज होने वाला है. जिसके लिए हरिद्वार में कई स्थायी और अस्थायी कार्य पूर्ण किए जाने हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण निर्माण कार्यों की गति पूरी तरह प्रभावित हो गई थी. हालांकि, लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद अब कुंभ कार्यों को पूरा किया जा रहा है. वहीं हरकी पैड़ी में प्राचीन सीढ़ियां मिलने के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है.

हरिद्वार स्थित हरकी पैड़ी पर खुदाई के दौरान निकली प्राचीन सीढ़ियां चर्चा का विषय बनी हुई हैं. इन सीढ़ियां पर प्राचीन दुर्लभ भाषा में लिखा हुआ है जो समझ से परे है. सोशल मीडिया पर सीढ़ियों का वीडियो वायरल होने के बाद लोगों की भीड़ जुट गई. गंगा सभा के पदाधिकारियों ने इन पैड़ियों की पहचान कराने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को बुलाने की बात कही है.

हरकी पैड़ी पर दिखीं 200 साल पुरानी लिखावट.

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हरिद्वार में कुंभ मेले के तहत सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है. मंगलवार सुबह हरकी पैड़ी से ब्रह्मकुंड तक मरम्मत का काम चल रहा था, पुरानी पैड़ी की खुदाई के दौरान कुछ और भी पुरानी पैड़ी निकल आई. जिस पर प्राचीन भाषा में लिखा हुआ है. श्री गंगा सभा के पदाधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर इन पैड़ियों के पास चल रहे काम को रुकवा दिया. उन्होंने इसकी सूचना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों को दी.

श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि हरकी पैड़ी पर वर्तमान में लगी पैड़ियां ही 100 से 150 साल पुरानी हैं. अब इससे भी प्राचीन पैड़ियां निकलने के बाद वो भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के अधिकारियों से इसकी पहचान करवाएंगे. वो चाहते हैं कि पहचान होने के बाद हरकी पैड़ी के इतिहास के बारे में और भी जानकारी मिल सकें. अभी फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह कौन सी भाषा है, जब तक पुरातत्‍व विभाग के अधिकारी इसका अध्ययन नहीं कर लेते हैं.

Last Updated : Nov 18, 2020, 4:28 PM IST

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