हरिद्वार: महाकुंभ के आयोजन को लेकर शनिवार को जूना अखाड़े में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक हुई. साढ़े चार घंटे हुई बैठक में कुंभ मेले के स्वरूप को लेकर की गई. बैठक में सभी तेरह अखाड़ों ने हरिद्वार महाकुंभ को भव्य और दिव्य तरीके से मनाने का फैसला लिया है. वहीं, बैठक में पहुंचे शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को संतों की खरी-खोटी सुननी पड़ी.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि अखाड़ा परिषद की महत्वपूर्ण बैठक में निर्णय लिया गया कि कुंभ मेले में किसी भी प्रकार के टेंट या पंडाल नहीं लगाए जाएंगे. बैठक में सभी तेरह अखाड़ों का कहना है कि जिस तरह से 2010 में कुंभ का आयोजन हुआ था. उसी तरह सभी अखाड़ों के लिए पंडाल और टेंट लगाने के लिए जमीन दी जाएगी और बैरागी कैंप में बैरागी अखाड़ों के टेंट लगेंगे. बैरागी कैंप को तोड़ा नहीं जाएगा. साथ ही सड़कें, बिजली और पानी की व्यवस्था सरकार करेगी.
सभी महामंडलेश्वर कुंभ मेले में आएंगे. अगर फरवरी या मार्च में कोरोना का प्रकोप ज्यादा बढ़ता है तो जो सरकार की गाइडलाइन होगी. साधु-संत उसका पालन करेगी. अखाड़ा परिषद का कहना है कि हरिद्वार महाकुंभ में पेशवाई भी निकाली जाएगी और संत शाही स्नान भी करेंगे. बैठक में हमारे द्वारा मेला प्रशासन को कहा गया है कि जितने भी अखाड़े अपनी पेशवाई के लिए तारीख की घोषणा करेंगे. उसी समय पर पेशवाई निकाली जाएगी. बैरागी कैंप को लेकर हम सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में जा रहे हैं. बैरागी के तीनों अखाड़े जल्द जमीन भी खरीद लेंगे और उनको सरकार द्वारा दिए जाने वाला पैसा भी मिलेगा.
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बैठक में कुंभ मेले को भव्य तरीके से मनाने के प्रस्ताव पर शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी अखाड़ों के सुर में सुर मिलाते नजर आए. मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि रविवार को अखाड़ा परिषद के प्रतिनिधियों के साथ सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की बैठक होनी है. उस बैठक में साधु-संतों के प्रमुख मुद्दों को उठाया जाएगा.