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हरिद्वार पंचायत चुनाव में AIMIM की एंट्री, दो समर्थित प्रत्याशियों ने जिला पंचायत चुनाव जीता

हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में AIMIM (AIMIM in Haridwar district panchayat elections) की एंट्री हो गई है. हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में AIMIM समर्थित दो उम्मीदवारों (Two AIMIM candidates won in Haridwar) ने जीत हासिल की है. ये दोनों की सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व थीं.

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हरिद्वार पंचायत चुनाव में AIMIM की एंट्री

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Published : Sep 30, 2022, 3:29 PM IST

Updated : Sep 30, 2022, 4:21 PM IST

हरिद्वार:मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) ने भी उत्तराखंड में पैर पसारने शुरू (AIMIM entry in Haridwar panchayat elections) कर दिए हैं. हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) ने उत्तराखंड AIMIM के अध्यक्ष नय्यर काजमी के नेतृत्व में अपना खाता खोल दिया है. AIMIM समर्थित प्रत्याशियों ने जिला पंचायत चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की. हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में AIMIM की ये एंट्री सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड हो रही है.

बता दें कि हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में उत्तराखंड AIMIM समर्थित दो प्रत्याशियों ने भारी मतों से बाजी मारी है. हरिद्वार के भगवानपुर चंदनपुर वार्ड नंबर 30 से कमलेश केयर ऑफ मुंतजिर ने 4700 वोटों से अपनी प्रतिद्वंदी को हराया है. वहीं, दूसरी ओर बोडड़ाहेडी पीटपुर वार्ड नंबर 7 से सरिता केयर ऑफ शाहबाज राणा ने 2000 वोटों से जीत हासिल की है. बता दें ये दोनों ही सीट रिजर्व थीं.

हरिद्वार पंचायत चुनाव में AIMIM की एंट्री

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जानकारी के अनुसार, AIMIM ने हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में अपने तीन कैंडिडेट उतारे थे. जिनमें से दो समर्थित उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है, लेकिन यह जीत AIMIM के पार्टी समर्पित सदस्यों मुंतजिर और शाहबाज राणा को ना मिलकर रिजर्व सीट होने के कारण कमलेश और सरिता को मिली है. भगवानपुर चंदनपुर प्रत्याशी कमलेश का चुनाव चिन्ह उगता सूरज था.

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जब हमने उत्तराखंड के AIMIM के अध्यक्ष नय्यर काजमी से इस बारे में बात की और उनसे पूछा कि कमलेश को AIMIM पार्टी का चुनाव चिन्ह क्यों नहीं दिया गया तो उन्होंने बताया कि पार्टी ने कोई सिंबल नहीं दिया था. दोनों प्रत्याशियों की जीत AIMIM को समर्पित हैं. दोनों सीट रिजर्व होने के कारण AIMIM के मुस्लिम कैंडिडेट चुनाव नहीं लड़ सकते थे. जिसके चलते दोनों AIMIM के सदस्यों ने अपने कैंडिडेट चुनाव मैदान में उतारे. अपने चुनावी खर्चे पर दोनों प्रत्याशियों को चुनाव लड़वाया. इसीलिए यह जीत AIMIM के खाते में आई है.

Last Updated : Sep 30, 2022, 4:21 PM IST

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