लक्सर:आर्य समाज के वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन भी हवन यज्ञ के बाद भजन और उपदेश का दौर चला. इस दौरान आर्य समाज के विद्वानों ने लोगों को झूठे कर्मकांड और अंधविश्वासों को नकारने का संदेश दिया. साथ ही भारत की प्राचीन वैदिक परंपरा को सबसे सुखद बताते हुए इसे अपनाने का आह्वान किया.
आर्य समाज का 85 वां वार्षिकोत्सव आपको बता दें लक्सर में आर्य समाज का 85वां वार्षिकोत्सव शनिवार से चल रहा है. इस मौके पर आर्य समाज मंदिर में तीन दिवसीय कार्यक्रम प्रस्तावित है. पहले दिन लक्सर नगर में आर्य समाज मंदिर से शोभायात्रा नगर के मेन बाजार से हरिद्वार रोड, गोवर्धनपुर रोड, शिवपुरी, सिमली लोको बाजार से होते हुए आर्य समाज मंदिर पर जाकर संपन्न हुई, जिसमें नगर के सम्मानित व्यक्तियों के साथ स्कूली बच्चों ने बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई.
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इस दौरान आर्य समाज के विद्वानों ने कहा कि आर्य समाज कोई पंत नहीं बल्कि नैतिक मूल्यों व आदर्शों के साथ जीवन जीने की एक पद्धति है. उन्होंने बताया आर्य समाज मूर्ति पूजा, अवतारवाद, बलि प्रथा व छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ है. आर्य समाज स्त्रियों व शूद्रों को भी वेद पढ़ने का अधिकार देता है.
सहारनपुर से आए सुखपाल आर्य ने आर्य समाज के बारे में फैली भ्रांतियों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आर्य समाज वेदों को मानता है और लोगों को भी वेदों के मुताबिक आचरण करने की शिक्षा देता है. समाज में छुआछूत लिंगभेद सती प्रथा जैसी बुराइयों के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत भी आर्य समाज ने की थी.