हरिद्वार: रोशनाबाद जिला कारागार में बंद छात्रवृत्ति घोटाले के विचाराधीन कैदी से ₹6 लाख की रंगदारी मांगने का मामला सामने आया है. बंदी की शिकायत पर थाना सिडकुल पुलिस ने रंगदारी मांगने वाले पांच आरोपियों के खिलाफ 8 फरवरी को मुकदमा दर्ज कर लिया था. अब पुलिस और एसटीएफ ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. फिलहाल पुलिस अभी फरार चल रहे तीन अज्ञात आरोपियों के बारे में जानकारी लेकर उनकी तलाश में जुट गई है.
सिडकुल थाना अध्यक्ष लखपत बुटोला और एसडीएम के हेड कांस्टेबल देवेंद्र कुमार ने टीम के साथ मिलकर कलियर के बेरपुर चौक से आरोपी गोरखनाथ को गिरफ्तार किया है. सिडकुल थाना अध्यक्ष लखपत बुटोला ने बताया कि आरोपी गोरखनाथ को जेल भेज दिया गया है. जिस पर डेढ़ हजार का इनाम भी था.
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थाना सिडकुल प्रभारी लखपत सिंह बुटोला ने बताया कि जेल में बंद विचाराधीन बंदी अनिल सैनी छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में जेल में है. अनिल सैनी निवासी सहारनपुर की तहरीर पर 8 फरवरी को मुकदमा दर्ज किया गया था. अनिल सैनी ने आरोप लगाया था कि जेल में बंद इंतजार उर्फ पहलवान निवासी मुजफ्फरनगर ने उससे रंगदारी मांगी है. रंगदारी न दिए जाने पर परिवार को जान से मारने की धमकी दी है. अनिल सैनी ने बताया था कि इंतजार ने उससे लाखों की रंगदारी वसूल कर ली है. अभी और भी लाखों की रंगदारी मांग रहा है. बता दें कि, सर्राफा कारोबारी से एक करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप में गैंगस्टर इंतजार उर्फ भूरा जेल में बंद है.
इंतजार के कहने पर गोरखनाथ निवासी पंजाबी डेरा दौलतपुर अनिल के घर रंगदारी लेने गया था. मामले में गोरखनाथ फरार चल रहा था. उसकी गिरफ्तारी अब कर ली गई है.
300 करोड़ से ज्यादा का है छात्रवृत्ति घोटाला:उत्तराखंड में वर्ष 2012 से 2017 के बीच एससी-एसटी छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में घोटाला हुआ था. 300 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की छात्रवृत्ति की रकम तमाम प्राइवेट इंस्टीट्यूट के हजारों छात्रों के नाम पर जारी की गई थी. वर्ष 2018 में मामले की जांच के लिए आईपीएस मंजूनाथ टीसी की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया गया था.
देहरादून और हरिद्वार में दर्ज हैं 83 मुकदमे:एसआईटी की जांच पर हरिद्वार में 51 और देहरादून में 32 मुकदमे निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ दर्ज किए गए थे. इनमें से हरिद्वार में 38 और देहरादून में 26 मुकदमों में तत्कालीन सरकारी अधिकारियों (समाज कल्याण विभाग) के नाम शामिल हैं. इन सभी अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमे दर्ज हैं. अब तक कई निजी संस्थानों मालिकों को गिरफ्तार किया जा चुका है.