हरिद्वार: संन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े में बुधवार को करीब दो सौ महिला साधुओं को नागा संन्यासी बनाने की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई. इस दौरान नाग संन्यासी बनाने की सभी प्रक्रियाओं का पालन कराया गया. प्रक्रिया बिड़ला घाट पर शुरू हुई, जहां महिला संन्यासियों का मुंडन संस्कार किया गया.
जिस प्रकार मंगलवार को एक हजार नागा संन्यासियों को दीक्षित किये जाने की प्रक्रिया दो दिन में सम्पन्न हुई, उसी तरह महिला संन्यासियों के भी दीक्षित किये जाने की प्रक्रिया पूर्ण की जायेगी. बुधवार से प्रारम्भ होकर संन्यासी बनाने की प्रकिया गुरुवार को सुबह पूरी होगी.
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क्या होती है प्रक्रिया
महिला नागा की दीक्षा के संबंध में बताते हुए जूना अखाड़े की महिला अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आराधना गिरि ने बताया कि संन्यास दीक्षा में 5 संस्कार होते हैं. जिसमें 5 गुरु बनाये जाते हैं. जब कुम्भ होता है तो गंगा घाट पर मुंडन, पिण्डदान क्रियाक्रम किया जाता है. जिसके बाद रात्रि में धर्मध्वजा के पास जाकर ओम नमः शिवाय का जाप किया जाता है. जहां आचार्य महामंडलेश्वर विजया संन्यास की दीक्षा देते हैं. जिसके बाद उन्हें तन ढकने के लिए पौने मीटर कपड़ा दिया जाता है. फिर सभी संन्यासी गंगा में 108 डुबकियां लगाती हैं. फिर स्नान के बाद अग्नि वस्त्र धारण कर आशीर्वाद लेती हैं.
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वहीं, जूना अखाड़े की निर्माण मंत्री साधना गिरि ने बताया कि आज महिलाओं की संन्यास दीक्षा का कार्यक्रम चल रहा है. जहां सबसे पहले केश त्याग किया जाता है. उसके बाद पिंड दान किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि संन्यास दीक्षा प्राप्त करने के बाद संन्यासी का सम्पूर्ण जीवन अपने अखाड़े, सम्प्रदाय और अपने गुरू को समर्पित हो जाता है.
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श्रीमहंत विशेश्वर भारती ने बताया कि जूना अखाड़े के माईवाड़ा में महिला सन्यासियों का सन्यास दीक्षा का कार्यक्रम चल रहा है. उन्होंने बताया कि मनुष्य का एक जन्म तो अपनी माता के गर्भ से होता है दूसरा गुरु से दीक्षा लेकर होता है. संन्यास दीक्षा के उपरांत आत्मा और परमात्मा के मिलन का अहसास होता है.