देहरादून: उत्तराखंड में युवाओं के अभियान और एजेंडों को राजनीतिक दल हाथों हाथ ले रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण वो भू-कानून है, जिसकी आवाज युवाओं ने उठाई तो धामी सरकार ने इस पर विचार करने में देरी नहीं की. यही नहीं विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी फौरन इस अभियान को समर्थन दे दिया. बहरहाल प्रदेश का युवा अब पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर मसलों पर भी विचार करने लगा है.
लिहाजा रोजगार के साथ युवाओं के इन आंदोलनों के कारण भू-कानून और पर्यावरण जैसे मुद्दे भी सरकार की प्राथमिकता में आ गए हैं. युवाओं पर सरकार की इस गंभीरता के अपने एक कारण भी हैं. दरअसल ऐसा राज्य में युवाओं के उस वोट बैंक के कारण है, जो चुनाव में किसी भी दल की किस्मत बदल सकता है.
पिछले दिनों भू-कानून के अभियान को युवाओं ने सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक इस कदर फैलाया कि सरकार को मजबूरी में इस पर विचार करना ही पड़ा. स्थिति यह है कि भाजपा इस अभियान को गलत ठहराती रही. लेकिन सरकार ने दबाव में भू कानून पर संशोधन के लिए समिति गठित कर दी. प्रदेश में युवाओं की तरफ से रोजगार खोलने को लेकर भी कुछ ऐसे ही अभियान चलाए गए. यही नहीं कुछ युवाओं ने पर्यावरण संरक्षण पर भी सरकार को चेताने की कोशिश की है.
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यह सब अभियान जैसे-जैसे आगे बढ़े सरकार को इन पर निर्णय भी लेना पड़ा. भू कानून पर कमेटी गठित की तो रोजगार को लेकर 22 हजार पद जल्द भरने का आश्वासन दिया गया. दरअसल, ऐसा प्रदेश में युवाओं की उस भारी संख्या को देखते हुए सरकार को करना पड़ा जो चुनाव के दौरान किसी भी दल के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है. सबसे पहले जानिए कि उत्तराखंड में युवाओं के आंकड़े क्या है..
प्रदेश में निर्णायक है युवा शक्ति
- उत्तराखंड में वोटरों की कुल संख्या 78 लाख 15 हजार 192 है.
- इसमें 57% युवा हैं यानी युवाओं की संख्या करीब 44 लाख 54 हजार है.
- विधानसभा स्तर पर अधिकतर विधानसभाओं में युवा निर्णायक भूमिका में हैं.
- प्रदेश में करीब 8 लाख बेरोजगार पंजीकृत भी हैं.
- सरकार ने 22000 खाली पदों को भरने का दावा किया है.