देहरादूनः14 नवंबर को विश्व भर में वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने की शुरुआत सबसे पहले इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा साल 1991 में की गई थी. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य आम जनमानस को डायबिटीज के कारणों, लक्षणों और डायबिटीज को नियंत्रित करने के बारे में जागरुक करना है.
गौरतलब है कि बदलती जीवनशैली के चलते आज पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में भी डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. केंद्र सरकार की फैमिली हेल्थ सर्वे के रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के चंपावत और पिथौरागढ़ जनपद में सबसे ज्यादा लोग डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं. यहां गौर करने वाली बात यह है कि इन दोनों ही जनपदों में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा डायबिटीज की शिकार हो रही हैं.
बता दें कि केंद्र सरकार की फैमिली हेल्थ सर्वे के रिपोर्ट के अनुसार चंपावत जनपद में 8.6 और पिथौरागढ़ जनपद में 6.6 फीसदी महिलाएं शुगर यानी डायबिटीज से ग्रस्त हैं. इस सर्वे रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के अन्य जनपदों में भी महिलाएं ज्यादा डायबिटीज की शिकार हो रही हैं.
दून अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ एचडी जोशी ने बताया कि डायबिटीज के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन डाइबिटीज का एक सबसे मुख्य कारण अनुवांशिक ( heriditary) है. यानी यदि आपके परिवार में पहले ही किसी को डायबिटीज है तो संभवतः आप खुद भी डायबिटीज का शिकार हो सकते हैं.