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पांडुलिपियों के संरक्षण एवं जागरूकता के लिये मसूरी में कार्यशाला का आयोजन - Historian Gopal Bhardwaj

मसूरी में विश्व धरोहर दिवस के मौके पर पांडुलिपियों के संरक्षण, जागरूकता और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में टिहरी राज परिवार के महाराजा मनुजेंद्र शाह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए.

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मसूरी

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Published : Apr 19, 2022, 2:07 PM IST

Updated : Apr 19, 2022, 2:18 PM IST

मसूरी: नगर पालिका सभागार में विश्व धरोहर दिवस पर पांडुलिपियों के संरक्षण, जागरूकता और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में इतिहास को संरक्षित करने वाले लोगों को भी सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में टिहरी राज परिवार के महाराजा मनुजेंद्र शाह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. इस समारोह में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए कई हस्तियों को सम्मानित किया गया.

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि महाराजा मनुजेंद्र शाह ने कहा कि हमारी धरोहर व संस्कृति को बचाने के लिए भावी पीढ़ी को उसके बारे में बताना भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की ओर भाग रही है. उन्होंने कहा कि हमें अपने इतिहास, संस्कृति, बोली भाषा का संवर्धन करने के साथ ही पांडुलिपियों को बचाने के लिए योजनाबद्व तरीके से काम करना होगा. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सांस्कृतिक व ऐतिहासिक रूप से समृद्ध है. इसलिए सभी का कर्तव्य है कि अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति संवेदनशील बनें व युवाओं का आह्वान किया कि वे इसे आगे बढ़ाने में सहयोग करें.

पांडुलिपियों के संरक्षण एवं जागरूकता के लिये मसूरी में कार्यशाला का आयोजन.

चंद्रकुंवर बर्त्वाल शोध संस्थान के अध्यक्ष डॉ. योगंबर सिंह बर्त्वाल ने कहा कि टिहरी राजशाही का अपना समृद्ध इतिहास है. यहां अनेक पांडुलिपियां है, जिन्हें खोजने व उन्हें संरक्षित करने की जरूरत है. प्रदर्शनी में महाराजा सुदर्शन शाह रचित सभागार, रतन कवि रचित फतेह शाह, गुरु गोविंद सिंह हस्त रचित विचित्र नाटक, शंकर गुरु रचित वास्तु शिरोमणि के साथ ही गढ़वाली भाषा रचित तंत्र ग्रंथ, ज्योतिष ग्रंथ, मंत्र ग्रंथ विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र रहीं. इसके अलावा कई घरों में पांडुलिपिया हैं जिसके बारे में किसी को पता नहीं है उन्हें सामने लाया जाना चाहिए.
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इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने कहा कि उनके पास मसूरी से संबंधित बहुत इतिहास है. उसके अलावा कई पांडुलिपियां हैं जिनको संरक्षित करने की जरूरत है. कार्यक्रम को मशहूर लेखक गणेश सैली, समीर शुक्ला आदि ने भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में ऐसे आयोजन करना जरूरी है, ताकि आम जन को सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराया जा सके. अपनी बोली भाषा, संस्कृति के संवर्धन में अपनी भूमिका निभाने के लिए जागरूकता लायी जा सके.

इनको मिला सम्मान:मशहूर लेखक प्रोफेसर गणेश सैली, समीर शुक्ला, मुनीर सकलानी, डा. योगंबर बर्त्वाल, कुसुम रावत, विनोद कुमार, रस्किन बांड, बिल एटकिन, विक्टर बनर्जी, स्टीफन आल्टर को स्मृति चिन्ह, शॉल व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.

Last Updated : Apr 19, 2022, 2:18 PM IST

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