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हादसे के बाद भी नहीं टूटी प्रशासन की नींद, अब जानकी पुल पर जोखिम में श्रमिकों की जान - Hrishikesh Muni ki Reti

जानकी पुल पर रंग रोगन के काम में जुटे मजदूर बिना सुरक्षा उपायों के ही जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं. इस संबंध में जब पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता से पूछा गया तो वह पल्ला झाड़ते नजर आए.

ऋषिकेश
जानकी सेतु पर बिना सुरक्षा काम कर रहे मजदूर

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Published : Nov 24, 2020, 10:48 PM IST

Updated : Nov 25, 2020, 6:49 AM IST

ऋषिकेश: अभी दो दिन पहले ही राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर गूलर के पास ब्रिज गिरने से 1 मजदूर की मौत हो गई थी. हादसे में 13 लोग घायल हो गए थे. लेकिन इस हादसे के बावजूद लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की आंखें नहीं खुल रही हैं. जी हां, मुनि की रेती स्वर्गाश्रम क्षेत्र को जोड़ने वाले जानकी पुल पर अभी रंग रोगन का काम चल रहा है. लेकिन पुल पर काम कर रहे मजदूर बिना सुरक्षा उपायों के ही जान जोखिम में डालकर काम करने में लगे हैं.

जानकी सेतु पर बिना सुरक्षा काम कर रहे मजदूर

मंगलवार को जानकी पुल पर रंग रोगन के काम में जुटे मजदूरों की एक ऐसी तस्वीर देखने को मिली, जिसे देखकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. अभी दो दिन पहले ही मुनि की रेती थाना अंतर्गत गूलर में पुल का आधा हिस्सा गिरने से एक मजदूर की मौत हो गई थी और 13 मजदूर घायल हो गए थे. जानकी पुल पर जान जोखिम में डालते हुए मजदूर काम करने को मजबूर हैं. मजदूरों के सिर पर ना तो हेलमेट था न ही सुरक्षा के इंतजाम. जिस रस्सी के सहारे अपनी जान जोखिम में डालकर मजदूर पुताई करने में लगे थे, उसे पकड़ने वाले भी अपनी मस्ती में व्यस्त दिख रहे थे. जरा सी चूक और उस मजदूर की जान जोखिम में पड़ सकती थी.

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ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या सरकार और विभाग किसी और हादसे का इंतजार कर रहे हैं. इस संबंध में जब पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता आरिफ खान से पूछा गया तो वह पल्ला झाड़ते नजर आए. वहीं, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है. यदि ऐसा है तो तत्काल विभाग के अधिकारियों को इस मामले में निर्देशित किया जाएगा. अब देखना है कि आखिरकार मंत्री जी का निर्देश कब तक अधिकारियों को मिलता है और मजदूरों की सुरक्षा के लिए क्या उपाय किए जाते हैं.

ऋषिकेश-बदरीनाथ मार्ग पर गूलर में हो चुका हादसा

ऋषिकेश-बदरीनाथ मार्ग पर गूलर में पुल निर्माण के दौरान बड़ा हादसा हो गया था. इस हादसे में एक मजदूर की जान चली गई थी. 13 मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए थे. यहां भी मजदूरों की सुरक्षा के मानकों से अनदेखी की गई थी. ऑल वेदर परियोजना में हुए इस बड़े हादसे के बाद निर्माण कार्य में कंपनियों की ओर से बरती जा रही लापरवाही के मामले भी उजागर हो रहे हैं. प्राथमिक जांच में निर्माण कर रही कंपनी की घोर लापरवाही सामने आई. बताया गया कि अधिक भार से पुल की स्टेजिंग ढह गई. जिस समय मजदूर पुल का काम कर रहे थे वहां रोशनी की व्यवस्था तक नहीं थी. निर्माण से जुड़े बड़े इंजीनियर मौके पर नहीं थे.

कुछ ऐसा ही हाल है जानकी पुल पर

कुछ ऐसा ही हाल जानकी पुल पर भी नजर आ रहा है. यहां हालांकि अब रंग रोगन का काम चल रहा है, लेकिन मजदूरों की सुरक्षा के लिए उपाय नहीं किए गए हैं. इस लापरवाही में अगर कोई हादसा हो गया तो फिर इसका जिम्मेदार कौन होगा.

ये हैं सुरक्षा के नियम

निर्माणाधीन बिल्डिंग, पुल पर काम कर रहे मजदूरों की सुरक्षा के लिये नियम भी हैं. निर्माण क्षेत्र में मजदूरों के लिए पेयजल, विश्राम, फर्स्ट एड बॉक्स, सेफ्टी कैप, दस्ताना और निर्माण कार्य यदि देर शाम तक होता है तो रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए.

Last Updated : Nov 25, 2020, 6:49 AM IST

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