भांग को लेकर पॉलिसी बनाने की कवायद तेज देहरादून:उत्तराखंड में भांग का उपयोग ना केवल औद्योगिक उत्पाद बल्कि मेडिकल क्षेत्र में भी किया जा सकेगा. इसके लिए धामी सरकार नई पॉलिसी तैयार करने जा रही है और बड़ी बात यह है कि जल्द ही इस पॉलिसी के कैबिनेट की बैठक में पास होने की भी उम्मीद है. इस पॉलिसी के आने के बाद राज्य में आर्थिक लिहाज से बड़ा बदलाव आ सकता है.
उत्तराखंड वैसे तो भांग की खेती को लीगलाइज करने वाला देश का पहला राज्य है और साल 2018 में भाजपा सरकार में इसको कानूनी मंजूरी दे दी गई थी. लेकिन पर्याप्त होमवर्क ना होने के कारण इस पॉलिसी का लाभ राज्य को अब तक नहीं हो पाया. लिहाजा राज्य सरकार अब इसको लेकर नई पॉलिसी तैयार कर रही है. जिससे भांग के दुरुपयोग को रोका जा सके और इसके उपयोग को बढ़ाते हुए इससे आर्थिकी को मजबूत किया जा सके. सबसे बड़ी बात यह है कि एक लंबे समय से राज्य में इस की नई पॉलिसी पर काम हो रहा है और करीब-करीब इस पॉलिसी को तैयार भी कर लिया गया है.
पढ़ें-औद्योगिक एवं औषधीय हैंप नीति को अफसरों की धीमी चाल पहुंचाएगी बड़ा नुकसान, बाजी न मार ले जाए हिमाचल
हाल ही में औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े लोगों से इसके लिए सुझाव भी लिए गए थे और मौजूदा ड्राफ्ट में बदलाव को लेकर भी संभावनाएं रखी गई थी. अब हैंप पॉलिसी के ड्राफ्ट प्रारूप को तैयार कर लिया गया है जिसके बाद अब इसके कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव के रूप में जाने का इंतजार है. खबर यह है कि राज्य सरकार इस पॉलिसी को जल्द से जल्द लागू करना चाहती है. ताकि राज्य की आर्थिकी सीधे तौर पर इससे प्रभावित होकर बेहतर दिशा में जा सके. मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने भी अधिकारियों को इसके मद्देनजर जल्द पॉलिसी तैयार करने और कैबिनेट में रखने के निर्देश दिए हैं. हालांकि आगामी कैबिनेट में इस पॉलिसी को नहीं लाया जा सकेगा, लेकिन उसके बाद अगली कैबिनेट में इस पॉलिसी को रखने का खाका तैयार किया जा रहा है.
पढ़ें-उत्तराखंड में हैंप नीति नीति लेकर आ रही धामी सरकार, फाइबर और मेडिसिनल प्रयोग में होगा प्रयोग
उधर दूसरी तरफ पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश भी भांग की खेती को कानूनी रूप देने के लिए पॉलिसी तैयार करने में जुट गया है.उत्तराखंड सरकार के सामने यह भी चुनौती है कि इस पॉलिसी को जल्द से जल्द तैयार किया जाए, ताकि इस क्षेत्र में लोग उत्तराखंड में निवेश कर सकें. इस मामले पर उत्तराखंड में इस पॉलिसी से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश से काफी पहले उत्तराखंड इस पॉलिसी को लागू करवा लेगा और यह पूरी कोशिश करेगा कि उत्तराखंड में क्षेत्र के बड़े खिलाड़ी निवेश करें.