देहरादून: रंगों का पर्व होली में अब कुछ दिन ही शेष रह गए हैं. हालांकि, देश के कई राज्यों में बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या को देखते हुए इस बार होली को लेकर लोगों में उत्साह कुछ कम है. यह हिंदुओं का बड़ा पर्व है. इसलिए लोग सीमित संख्या में एक जगह एकत्रित होकर होली मनाने की तैयारियों में जुट चुके हैं.
बात होली की तैयारियों की करें तो पछवादून की स्वयं सहायता समूह की 500 से अधिक महिलाएं होली को नजदीक देखते हुए, इन दिनों ऑर्गेनिक यानी कि प्राकृतिक गुलाल तैयार करने के जुटी हुई हैं. इन प्राकृतिक गुलाल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि, यह त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है. इससे किसी भी तरह की एलर्जी होने का खतरा नहीं है.
स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इन प्राकृतिक रंगों को किस तरह तैयार कर रही है. इसका जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम स्वयं सहायता समूह पहुंची. इस दौरान स्वयं सहायता समूह नारी शक्ति स्वरूपा महिला प्रदेश संगठन की अध्यक्ष गीता मौर्य ने बताया कि वह अपनी संगठन की सदस्यों के साथ मिलकर लगातार स्थानीय महिलाओं को प्राकृतिक गुलाल तैयार करने का प्रशिक्षण दे रही है. यह प्राकृतिक गुलाल आरारोट में अलग-अलग तरह के फूड कलर मिलाकर तैयार किया जा रहा है. इसके साथ ही कुछ प्राकृतिक गुलाल ऐसे भी हैं, जिन्हें फल सब्जियों के रस से तैयार किया जा रहा है.