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वन्यजीव प्रेमियों को गैंडा देखने के लिए करना होगा इंतजार, ठंडे बस्ते में 'राइनो प्रोजेक्ट'

वन्यजीव प्रेमियों को कॉर्बेट नेशनल पार्क में गैंडे देखने के लिए अभी और इंतजार करना होगा, क्योंकि वन विभाग का राइनो प्रोजेक्ट अभी ठंडे बस्ते में हैं.

National Tiger Conservation Authority
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Published : Jun 29, 2021, 9:36 AM IST

देहरादून: कॉर्बेट नेशनल पार्क (Corbett National Park) में गैंडों को देखने की इच्छा रखने वाले लोगों को अभी कुछ और इंतजार करना होगा. दरअसल, उत्तराखंड वन विभाग (Uttarakhand Forest Department) का प्रोजेक्ट राइनो (Project Rhino) लंबे समय से ठंडे बस्ते में है. फिलहाल, इस प्रोजेक्ट के पूरा होने की भी अभी कोई उम्मीद नहीं दिख रही है. हालांकि, वन विभाग के अधिकारी अब भी इस प्रोजेक्ट को लेकर सकारात्मक रवैया बनाए हुए हैं.

उत्तराखंड में साल 2019 के दौरान राज्य वन्यजीव बोर्ड ने कॉर्बेट नेशनल पार्क में गैंडों को लाए जाने की मंजूरी दी, तो उम्मीद की गई कि वन्यजीव प्रेमियों को जल्द ही उत्तराखंड में गैंडों के दीदार हो सकेंगे. लेकिन डेढ़ साल बाद भी अब तक इस प्रोजेक्ट पर कुछ खास काम नहीं हो पाया है. यह हाल तब है जब वन विभाग गैंडों को जल्द से जल्द कॉर्बेट में शिफ्ट करने की बात कहता रहा है.

ठंडे बस्ते में राइनो प्रोजेक्ट.

कॉर्बेट नेशनल पार्क में रहा है गैंडों का वास

अध्ययन में बाद यह पता चला है कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में एक समय काफी संख्या में गैंडों का वास था. यह भी कहा जा रहा है कि वन विभाग के अभिलेखों में भी यह दर्ज रहा है. इन्ही बातों को देखते हुए राज्य सरकार ने पश्चिम बंगाल और असम से करीब 10 गैंडे प्रदेश में लाने की योजना बनाई. इसी के तहत राज्य वन्यजीव बोर्ड ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी.

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असम की काजीरंगा नेशनल पार्क से लाए जाने हैं गैंडे

उत्तराखंड वन्य जीव बोर्ड (Uttarakhand wildlife board) से मंजूरी के करीब 2 महीने बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने असम के मुख्यमंत्री से भी इसके मद्देनजर बातचीत की. सहमति बनी कि असम के काजीरंगा नेशनल पार्क (Kaziranga National Park) से एक सिंग वाले गैंडे उत्तराखंड में शिफ्ट किए जाएंगे. माना गया कि 10 की बजाय 12 गैंडे असम से चरणबध्द तरीके से उत्तराखंड के कॉर्बेट में पहुंचेंगे. इसमे चार नर गैंडे और 8 मादा गैंडे होंगे, ताकि कॉर्बेट में धीरे-धीरे गैंडों का बड़ा परिवार तैयार किया जा सके.

रेडियो कॉलर से रखी जाएगी नजर

तैयार कार्यक्रम के तहत इन गैंडों को रेडियो कॉलर (radio collar) के जरिए निगरानी में रखने का कार्यक्रम है. हालांकि, डेढ़ साल बाद भी गैंडों को उत्तराखंड शिफ्ट करने की फाइल भारत सरकार में ही अटकी हुई है. उधर, अब इस प्रोजेक्ट में गैंडों की संख्या को कम करते हुए 4 गैंडों को लाने पर काम शुरू किया गया है. फिलहाल, भारत सरकार ने असम से उत्तराखंड गैंडों को लाने के लिए कुछ जानकारियां मांगीं हैं, जिसमें इस प्रोजेक्ट पर धनराशि की व्यवस्था कैसे होगी और विशेषज्ञ समिति की इस पर क्या राय है ?, शामिल है.

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बताया जाता है कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में धीरे-धीरे गैंडे विलुप्त हुए हैं, लेकिन ये पार्क गैंडों के लिहाज से अनुकूल है. यहां करीब 100 से ज्यादा गैंडे आसानी से रह सकते हैं. उत्तराखंड वन विभाग की तरफ से बनाए गए प्लान के अनुसार इसको करीब 3 साल का प्रोजेक्ट बनाया गया है, जिसमें ₹4.3 करोड लगने की उम्मीद है.

एनटीसीए की इजाजत जरूरी

हालांकि, कॉर्बेट नेशनल पार्क में इन गतिविधियों के लिए एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) की इजाजत भी जरूरी है. फिलहाल इन सभी अनुमतियों के लिए राज्य सरकार को लंबा वक्त लग सकता है. ऐसे में वन्यजीव प्रेमियों के लिए फिलहाल उत्तराखंड में ही गैंडों के दीदार करने के लिए अभी इंतजार करना होगा.

क्या है राइनो प्रोजेक्ट ?

उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में देहरादून में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड (state wildlife board) की 14वीं बैठक में असम से 10 गैंडों को कॉर्बेट नेशनल पार्क में लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के मुताबिक, कॉर्बेट नेशनल पार्क पहले भी गैंडे पाए जाते थे लेकिन अवैध शिकार से उनका सफाया हो गया था. ऐसे में उत्तराखंड में फिर से गैंडों को लाने के लिए सरकार ने योजना बनाई है.

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