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अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस: आखिर क्यों 10 दिसंबर को ही मनाते हैं, 804 साल पुराना है इतिहास

आज अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि मानाधिकार दिवस 10 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है. इसके पीछे की कहानी शुरू होती है 1215 में ब्रिटेन के तत्कालीन राजा जोन से.

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अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस

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Published : Dec 10, 2019, 4:31 AM IST

Updated : Dec 10, 2019, 1:43 PM IST

देहरादून: हर इंसान को जिंदगी अपने अनुसार जीने, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार ही मानवाधिकार है. अपने देश की बात करें तो संविधान में मानवाधिकारों को उच्च स्थान देते हुए उसे मौलिक अधिकारों के खंड में न सिर्फ शामिल किया गया, बल्कि मानव अधिकारों की रक्षा की जिम्मेदारी न्यायपालिका को सौंपी गई. इससे पता चलता है कि मानवाधिकार हमारे लिए कितना ज्यादा जरूरी है. ऐसे में अब ये भी जानना जरूरी हो जाता है कि 10 दिसम्बर को ही क्यों मनाया जाता है मानव अधिकार दिवस.

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दुनिया भर के इंसानी अधिकारों को पहचान देने और इंसानी अधिकारों को अस्तित्व में लाने के लिए इंसानों के अधिकारों को बरकार रखने के लिए हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्‍ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है.

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साल 1993 में लागू हुआ था मानवाधिकार कानून
साल 1948 में संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार घोषणा पत्र पर भारत ने हस्ताक्षर किए थे. इसके बाद देश में 28 सितंबर 1993 से मानवाधिकार कानून को अमल में लाया गया. 12 अक्‍टूबर 1993 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया. मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम-1993 लागू किया गया. ये कानून प्रदेश के किसी भी सरकारी और गैर सरकारी संस्था के अधिकारियों के उन कार्यों की समीक्षा करता है, जो मानवधिकारों के हनन के दायरे में आता है.

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1215 में शुरू हुआ था मानवाधिकार के लिए संघर्ष
ऐतिहासिक पहलुओं पर गौर करें तो मानव अधिकार के संघर्ष का प्रमाण 15 जून 1215 में ब्रिटेन के सम्राट जोन के कार्यकाल के दौरान मिलता है. जो आज भी विश्वभर में मैग्ना कार्टा के नाम से जाना जाता है. साल 1689 में ब्रिटेन में हुई क्रांति ने मानवाधिकार की अवधारणा को बढ़ाए जाने पर बल दिया. ब्रिटेन में हुई क्रांति के बाद "बिल ऑफ राइट्स" के तहत व्यक्ति के मौलिक स्वतंत्रताओं को मान्यता दी गई थी. बावजूद इसके अधिकारों का हनन होने के चलते अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों को विकसित होने के लिए आधार भूमि तैयार की गई.

10 दिसंबर 1948 को 'संयुक्त राष्ट्र असेंबली' ने मानवधिकार से जुड़े प्रस्ताव को पारित कर "मानव अधिकारों" की विश्व घोषणा की. साल 1950 से महासभा ने सभी देशों को इसकी शुरुआत के लिए आमंत्रित किया था. भारतीय संविधान में भी मानवाधिकार को विस्तृत रूप में जोड़ा गया है. अनुच्छेद 1 से अनुच्छेद 30 तक में मानवाधिकारों का जिक्र मिलता है.

Last Updated : Dec 10, 2019, 1:43 PM IST

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