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Uttarakhand Election: उत्तराखंड में 22 सीटें बदल सकती है समीकरण, जानिए सांप्रदायिक मुद्दों पर क्यों हो रही राजनीति

उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में जहां पहले के चुनाव विकास रोजगार स्वास्थ्य शिक्षा और राष्ट्रवाद के नाम पर लड़े जाते थे. वहीं, इस बार चुनाव का रंग दूसरी तरफ यानी सांप्रदायिक मुद्दों की तरफ मुड़ता नजर आ रहा है. उत्तराखंड में 82 फीसदी से ज्यादा हिंदू वोट है तो वहीं, साढ़े 13 फीसदी वोट मुस्लिम हैं. अगर, दलित और मुस्लिम वोटों की बात करें तो उत्तराखंड की 70 विधानसभाओं में 22 सीटें ऐसी हैं, जहां पर दलित और मुस्लिम अपना दबदबा रखते हैं.

Uttarakhand Election
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव

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Published : Feb 6, 2022, 8:06 AM IST

Updated : Apr 27, 2022, 3:01 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में इन दिनों सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी तस्वीरें और वीडियो वायरल किए जा रहे हैं, जिनका ताल्लुक संप्रदाय विशेष से है. दरअसल, उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए राजनीतिक दल तरह-तरह के चुनावी हथकंडे अपना रहे हैं. इसी के तहत प्रदेश में तुष्टिकरण की कोशिशें दिखाई देती है. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश की 22 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं.

उत्तराखंड में देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर तीन जिलों में ऐसी कई विधानसभा सीटें हैं जहां पर मुस्लिम वोटर्स अहम भूमिका में दिखाई देते हैं. यही नहीं पौड़ी जनपद कि कुछ विधानसभाओं में भी मुस्लिम वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है. लिहाजा, चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अब बेहद कड़े मुकाबले को देखते हुए जीत के लिए नए-नए हथकंडे को अपनाना शुरू किया है.

उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में जहां पहले के चुनाव विकास रोजगार स्वास्थ्य शिक्षा और राष्ट्रवाद के नाम पर लड़े जाते थे. वहीं, इस बार चुनाव का रंग दूसरी तरफ यानी सांप्रदायिक मुद्दों की तरफ मुड़ता नजर आ रहा है. उत्तराखंड में 82 फीसदी से ज्यादा हिंदू वोट है तो वहीं, साढ़े 13 फीसदी वोट मुस्लिम हैं. अगर, दलित और मुस्लिम वोटों की बात करें तो उत्तराखंड की 70 विधानसभाओं में 22 सीटें ऐसी हैं, जहां पर दलित और मुस्लिम अपना दबदबा रखते हैं. जिनकी वजह से हार और जीत तय होती है. यही वजह है कि उत्तराखंड में इस बार चुनाव बदलता हुआ नजर आ रहा है.

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मुस्लिम यूनिवर्सिटी आमने-सामने पार्टियां

कांग्रेस के एक नेता का सोशल मीडिया पर मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने का बयान और बीजेपी के कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का एक मस्जिद से निकलने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर इनदिनों खूब वायरल हो रहा है. जिसके बाद इस चुनाव सांप्रदायिक रंग देकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं.

वहीं, इस पूरे मामले में भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी और प्रवक्ता सुरेश जोशी का कहना है कि भाजपा सिर्फ विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ती है लेकिन उत्तराखंड में देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर जिलों में मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर कांग्रेस तुष्टीकरण की राजनीति कर वोट बटोरना चाहती है.

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कांग्रेस ने किया पलटवार

उधर, कांग्रेस ने भी बीजेपी सांप्रदायिक होने का आरोप लगाया है. कांग्रेस प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि बीजेपी धुव्रीकरण की राजनीति करती आ रही है. मुस्लिम वोटर्स को रिझाने के लिए कभी मुख्यमंत्री दरगाह में चादर चढ़ाते दिखाई देते हैं तो कभी उनके मंत्री मस्जिदों से टोपी लगाए बाहर निकलते दिखाई देते हैं. बीजेपी हमेशा से तुष्टिकरण की राजनीति करती आई है. ऐसे में इस बार विधानसभा चुनाव को वह सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशों में जुटी है.

प्रदेश में ये है वोट प्रतिशत

उत्तराखंड में वोट प्रतिशत को देखें तो यहां करीब 83 लाख वोटर्स में 60 लाख से ज्यादा वोटर्स हिंदू जबकि, मुस्लिम वोटर्स की संख्या 13% और 3 प्रतिशत सिख वोटर्स हैं. जाहिर है कि हरिद्वार उधमसिंह नगर और देहरादून जिले की कुछ विधानसभाओं को जोड़ दिया जाए तो कुल 22 विधानसभाओं पर मुकाबला बेहद कड़ा है. जिनमें मुस्लिम वोटर्स की अहम भूमिका है शायद यही कारण है कि पहली बार चुनाव में हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेलने से राजनीतिक दल भी बाज नहीं आ रहे हैं.

Last Updated : Apr 27, 2022, 3:01 PM IST

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