देहरादून: पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत-चीन सीमा विवाद काफी तल्ख हो चुका है. 15-16 जून की रात लद्दाख के पास गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए. वहीं, इस झड़प के दौरान चीनी सेना के कमांडिंग ऑफिसर सहित करीब 40 जवान हताहत हुए हैं. हालांकि, चीन ने इसकी पुष्टि नहीं की है. एक तरफ एलओसी पर भारत-पाकिस्तान के बीच फायरिंग की घटना होती रहती है, वहीं दूसरी तरफ एलएसी पर भारत-चीन के सैनिक हथियारों का प्रयोग करने से बचते हैं. इस रिपोर्ट में जानिए भारत-चीन के बीच सीमा विवाद क्यों हैं.
एलओसी और एलएसी क्या है
नियंत्रण रेखा भारत और पाकिस्तान के बीच खींची गई 740 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है. इसे लेकर पाक से 1947, 1965 और 1971 में तीन युद्ध हुए हैं और तीनों में पाक को करारी हार का सामना करना पड़ा था. खास बात यह है कि नियंत्रण रेखा कोई लकीर नहीं है, जिसे सीधे देखा जा सकता है. बल्कि यह अदृश्य रूप से कायम है.
वहीं, भारत और चीन के बीच सीमा को वास्तविक नियंत्रण रेखा या एलएसी कहा जाता है. चीन के साथ लगी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) करीब 3,488 किलोमीटर की है, जबकि चीन मानता है कि यह बस 2000 किलोमीटर तक ही है. ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है. ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है - पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश.
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पूर्वी हिस्से में एलएसी और 1914 के मैकमोहन रेखा के संबंध में जमीनी स्थितियों को लेकर भी चीन अड़ंगा लगाता रहता है. अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र पर चीन अक्सर अपना हक जताता रहता है. इसी तरह उत्तराखंड के बाड़ाहोती मैदानों के भूभाग को लेकर भी चीन विवाद करता रहता है. भारत पश्चिमी सेक्टर में अक्साई चीन पर अपना दावा करता है, जो फिलहाल चीन के नियंत्रण में है.
भारत के साथ 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने इस पूरे इलाके पर अवैध कब्जा कर लिया था. 1914 में तिब्बत एक स्वतंत्र लेकिन कमजोर मुल्क था और चीन ने तिब्बत को कभी स्वतंत्र देश नहीं माना. 1950 में चीन ने तिब्बत को पूरी तरह से अपने कब्जे में लिया. इसी वजह से चीन अरुणाचल प्रदेश में मैकमोहन लाइन को नहीं मानता और अक्साई चीन पर भारत के दावे को भी खारिज करता है.
भारत-चीन सीमा पर क्यों नहीं चलती गोली