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17 अप्रैल को सल्ट विधानसभा में उपचुनाव, जानें प्रदेश में कितनी बार हुए उपचुनाव

उत्तराखंड में सल्ट उपचुनाव के लिए तारीख का ऐलान कर दिया गया है. 17 अप्रैल को सल्ट विधानसभा पर उपचुनाव होने हैं.

17 अप्रैल को सल्ट विधानसभा में उपचुनाव
17 अप्रैल को सल्ट विधानसभा में उपचुनाव

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Published : Nov 12, 2020, 3:20 PM IST

Updated : Mar 16, 2021, 6:28 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में साल 2022 को विधानसभा चुनाव होने हैं. इसे लेकर अगले साल से चुनावों की रणनीतियां शुरू होने वाली हैं. वहीं, सल्ट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के बाद खाली हुई सीट पर 17 अप्रैल को उपचुनाव होने हैं. अभी तक 13 बार विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हो चुके हैं.

उत्तराखंड राज्य के इन 20 सालों में अभी तक 13 बार विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हो चुके हैं. अगले साल सल्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो सकते हैं. हालांकि प्रदेश में पहली बार विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव साल 2002 में हुआ था. ये उस वक्त का दौर है जब नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा सीट से सांसद रहे एनडी तिवारी ने सांसदी छोड़ रामनगर विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव लड़ा था.

किसी विधायक के निधन पर पांचवी बार होगा उपचुनाव

उत्तराखंड राज्य में किसी विधायक के निधन के बाद विधानसभा के लिए उपचुनाव का यह पांचवा मामला है. राज्य में सबसे पहले साल 2004 में द्वाराहाट के विधायक विपिन त्रिपाठी के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर उपचुनाव हुए थे. दूसरी बार साल 2014 में भगवानपुर के विधायक सुरेंद्र राकेश के निधन के बाद खाली हुई सीट पर उपचुनाव हुए. तीसरी दफे साल 2018 में थराली के विधायक मगनलाल शाह के निधन के बाद खाली हुई विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे. वहीं, साल 2019 में वित्तमंत्री प्रकाश पंत के निधन के बाद खाली हुई पिथौरागढ़ सीट पर उपचुनाव हुआ था. अब ये पांचवा मौका है जब सल्ट विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के बाद उपचुनाव होगा.

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उपचुनाव को लेकर क्या है निर्वाचन आयोग के नियम

मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या कहती हैं कि निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार धारा 147, धारा 149, धारा 150 और धारा 151 के तहत किसी रिक्त सीट को भरने के लिए उपनिर्वाचन, रिक्त होने की तारीख से 6 माह की अवधि के भीतर कराया जाएगा. यानी अगर किसी भी कारण वश या निधन के उपरांत विधानसभा, लोकसभा या राज्यसभा की सीट रिक्त हो जाती है.

ऐसे में रिक्त तिथि से 6 माह के भीतर उस सीट पर उपचुनाव कराने होते हैं. इसके साथ ही किसी कारण वश खाली हुए सीट के कार्यालय को केवल एक साल या एक साल से कम का समय बचा है या किसी विशेष कारण वश उस क्षेत्र में तय समय सीमा के भीतर उपचुनाव सम्पन्न न हो पाने की स्थिति में निर्वाचन आयोग, केंद्र सरकार से परामर्श लेकर आगे का निर्णय ले सकता है.

प्रदेश में कब-कब हुए उपचुनाव

  • साल 2002 में रामनगर विधानसभा सीट पर हुआ था उपचुनाव.
  • साल 2004 में द्वाराहाट विधानसभा सीट पर हुआ था उपचुनाव.
  • साल 2005 में कोटद्वार विधानसभा सीट पर हुआ था उपचुनाव.
  • साल 2007 में धुमाकोट विधानसभा सीट पर हुआ था उपचुनाव.
  • साल 2009 में कपकोट विधानसभा सीट पर हुआ था उपचुनाव.
  • साल 2009 में विकासनगर विधानसभा सीट पर हुआ था उपचुनाव.
  • साल 2012 में सितारगंज विधानसभा सीट पर हुआ था उपचुनाव.
  • साल 2014 में डोईवाला विधानसभा सीट पर हुआ था उपचुनाव.
  • साल 2014 में धारचूला विधानसभा सीट पर हुआ था उपचुनाव.
  • साल 2014 में सोमेश्वर विधानसभा सीट पर हुआ था उपचुनाव.
  • साल 2015 में भगवानपुर विधानसभा सीट पर हुआ था उपचुनाव.
  • साल 2018 में थराली विधानसभा सीट पर हुआ था उपचुनाव.
  • साल 2019 में पिथौरागढ़ विधानसभा सीट पर हुआ था उपचुनाव.
Last Updated : Mar 16, 2021, 6:28 PM IST

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