हरिद्वार: हरकी पैड़ी पर बहने वाली मां गंगा को लेकर जो शासनादेश हरीश रावत ने अपने मुख्यमंत्री रहते हुए दिया था, वहीं शासनादेश बीते साढ़े तीन साल से त्रिवेंद्र सरकार की भी गले की हड्डी बना हुआ है. कुंभ सिर पर है, लिहाजा इस शासनादेश को रद्द करवाने के लिए तीर्थ पुरोहित और हरिद्वार के निवासियों ने हर जतन कर लिए. सरकार भी कई दफा गंगा सभा और साधु-संतों से वार्ता कर चुकी है.
हालिया बयान सुर्खियां तब बनी जब रविवार 22 नवंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर हरिद्वार से विधायक और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की मौजूदगी में तमाम साधु-संतों और गंगा सभा के पदाधिकारियों के साथ सरकार ने यह ऐलान किया कि सरकार हरीश रावत सरकार द्वारा जारी आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द करती है.
सरकार के इस आदेश के बाद साढ़े तीन साल से सरकार की तरफ टकटकी लगाए बैठे तीर्थ पुरोहित और स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. सोशल मीडिया और तमाम प्रचार प्रसार के माध्यमों पर सरकार को बधाई देने का तांता लग गया. कहीं पटाखे फूटे, तो कहीं गंगा में दूग्धाभिषेक हुआ. लेकिन अब वहीं लोग पूछ रहे हैं कि क्या बयानों में दिया गया आदेश असल में लागू हुआ?
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रविवार से अबतक 4 दिन बीत गए हैं, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक ऐसा कोई भी सरकारी पन्ना बाहर नहीं आया. जिसके बाद यह कहा जाए कि हरिद्वार हरकी पैड़ी पर बहने वाली गंगा कागजों में भी गंगा हो गई है.