देहरादून: उत्तराखंड के गैंगस्टर और यूपी चिटहरा भूमि घोटाले के मुख्य आरोपी यशपाल तोमर के साथ उत्तराखंड के तीन बड़े आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का जो गठजोड़ सामने आया है, उसको लेकर शासन में बैठे कई अधिकारियों की हवा उड़ी हुई है. वहीं, इसी के साथ एक सवाल राजनीति गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या यूपी की योगी सरकार की तरह इस मामले में उत्तराखंड की धामी सरकार भी कोई बड़ा एक्शन लेने जा रहा है या फिर इस मामले के ऐसे ही दबा दिया जाएगा.
यूपी चिटहरा भूमि घोटाले का उत्तराखंड कनेक्शन: इस पूरे मामले पर बात करने से पहले आपको यूपी चिटहरा भूमि घोटाले के बारे में बताते हैं. आखिर इस पूरे घोटाले में उत्तराखंड के तीन बड़े आईएसस और आईपीएस अधिकारियों का नाम कैसा आया है. बता दें कि 22 मई को यूपी के ग्रेटर नोएडा जिले के दादरी थाने में उत्तराखंड के गैंगस्टर यशपाल तोमर और चिटहरा भूमि घोटाले के मुख्य आरोपी यशपाल तोमर समेत 9 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. जिन 9 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है, उसमें उत्तराखंड के सचिव मुख्यमंत्री आईएएस मीनाक्षी सुंदरम के ससुर एम भास्करन, एमडीडीए सचिव आईएएस बृजेश संत के पिता का केएम संत उर्फ खचेरमल और उत्तराखंड के डीआईजी राजीव स्वरूप की माता सरस्वती देवी भी शामिल हैं.
ये तीनों अधिकारी हरिद्वार में डीएम और एसएसपी के पद पर तैनात रहे हैं. इसी दौरान उन्होंने यशपाल तोमर की मदद की और उसी के बल पर यशपाल तोमर ने उत्तराखंड में करोड़ों रुपए के ज्यादा की अवैध संपत्ति खड़ी कर दी. हालांकि, इन तीनों अधिकारियों ने सीधे संपत्ति में अपना हिस्सा नहीं लिया है, बल्कि अवैध संपत्ति को बड़ा हिस्सा अपने परिजनों के नाम करवाया है. ताकि किसी को शक न हो सके, लेकिन अब सारा राज बाहर आ गया है.
क्या है दादरी चिटहरा जमीन घोटाला?:नोएडा के दादरी थाने के ग्राम चिटहरा एवं प्रबंधन समिति द्वारा जुलाई 1997 को 282 लोगों को कृषि भूमि आवंटन का प्रस्ताव दिया गया था. उस वक्त के जिलाधिकारी द्वारा 20 अगस्त 1997 को स्वीकृति प्रदान की. आरोप है कि मुख्य आरोपी यशपाल तोमर ने कर्मवीर, बेलू तथा कृष्णपाल जो यशपाल के गांव बरवाला के रहने वाले थे. उनके नाम सैकड़ों बीघा जमीन चिटहरा निवासी बनाकर पट्टा कराएगा, जबकि जांच के दौरान पता चला कि यह लोग इतने गरीब हैं कि पढ़ना लिखना भी नहीं जानते. इतना ही नहीं इन लोगों के नाम से जमीन की पावर अटार्नी अपने परिचित नौकर के पुत्र वीरेंद्र सिंह के नाम करा दिया. साथ ही अधिकारियों से मिलकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया.
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क्या कहते हैं सीएम धामी: इस मामले में जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि वैसे तो ये बाहरी प्रदेश का मामला है. यदि यूपी सरकार को किसी भी तरह से सहायता की जरूरत होगी तो उत्तराखंड सरकार मदद करेगी. वहीं, उन्होंने कहा था कि जरूरत पड़ने पर उत्तराखंड में भी इस मामले की जांच कराई जाएगी. कानून अपना काम कर रहा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस तरह से इस मामले बयान दिया है, उससे साफ है कि सरकार अभीतक इस मामले के ज्यादा कुछ ज्यादा कहना नहीं चाहती है.
यशपाल तोमर की अधिकारियों से सांठगांठ: यशपाल तोमर की हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है यूपी सरकार ने उसकी करीब 200 करोड़ की संपत्ति को सीज किया है. वहीं, उत्तराखंड पुलिस ने बीते दिनों कार्रवाई करते हुए यशपाल तोमर गैंगस्टर की कार्रवाई की थी और हरिद्वार जिला कोर्ट के आदेश पर उसकी 153 करोड़ रुएए की संपत्ति कुर्क की है. यशपाल तोमर ने अरबों रुपए का ये साम्राज्य अकेले अपने दम नहीं खड़ा किया था, बल्कि यूपी और उत्तराखंड के कई बड़े अधिकारियों ने इसमें उसका साथ दिया हैं. यशपाल तोमर ने उत्तराखंड में सबसे ज्यादा अवैध तरीके से जमीन कब्जाने का किया है. जिसमें आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने उसकी मदद की है. जिसके बदले यशपाल तोमर ने उनका फायदा पहुंचाया और उनके परिजनों के नाम बड़ी संपत्ति कराई है, जिसकी परतें अब खुलती जा रही है.
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