देहरादून: अगर आप अपनी कुंडली में मौजूद किसी भी ग्रह की दशा सुधारने के लिए रत्न धारण करने की सोच रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए. बता दें कि हिन्दू मान्यता के अनुसार प्राचीन काल से ही नौ ग्रहों में से किसी भी ग्रह के कमजोर होने पर ज्योतिष आचार्य रत्न धारण करने की सलाह देते हैं. नौ ग्रहों के आधार पर 9 तरह के रत्न उपलब्ध हैं. जिसमें हीरा, नीलम, पुखराज, पन्ना, मूंगा, मोती, माणिक्य, गोमेद और लहसुनिया रत्न शामिल है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि इन सभी रत्नों को विभिन्न ग्रहों के आधार पर ही पहना जाता है.
ग्रह | रत्न |
शुक्र | हीरा |
शनि | नीलम |
बृहस्पति | पुखराज |
मंगल | पुखराज |
चंद्र | मोती |
सूर्य | माणिक्य |
राहु | गोमेद |
केतु | लहसुनिया |
बता दें कि हिंदू मान्यता के अनुसार अपनी कुंडली में मौजूद कमजोर ग्रह के अनुसार रत्न धारण करने से लोगों को कई तरह के लाभ होते हैं. मान्यता है कि सही रत्न को धारण करने से कई तरह की परेशानियां जैसे स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें, आर्थिक तंगी, गृह क्लेश, बेरोजगारी इत्यादि से छूटकारा मिल सकता है. इन बेशकीमती रत्नों को धारण करने से अशुभ ग्रह को शुभ बनाया जा सकता है.
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रत्नों के संबंध में जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य सुभाष जोशी बताते हैं कि नौ रत्नों में से हर एक रत्न शक्तियों का भंडार है, जो शरीर में स्पर्श के माध्यम से प्रवेश करता है. रत्न को हमेशा सूर्य की रोशनी में किसी जानकार या ज्योतिषाचार्य की सलाह पर निर्धारित मुहर्त पर ही धारण करना चाहिए. क्योंकि गलत रत्न धारण कर लेने से कई बार दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं.