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जनता का मौन बढ़ा रहा प्रत्याशियों की बेचैनी, वोटिंग करेगी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला

वरिष्ठ स्तंभकार सुशील कुमार ने ईटीवी संवाददाता प्रगति पचौली से मतदान और लोकतंत्र के बारे में विस्तार से वार्ता की. सुशील कुमार ने मतदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मतदान करना हर व्यक्ति का नैतिक अधिकार है.

वोटिंग करेगी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला.

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Published : Mar 30, 2019, 3:47 PM IST

Updated : Mar 30, 2019, 5:57 PM IST

देहरादून: पूरे देश में लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व अपने पूरे प्रवाह पर है. वहीं प्रदेश की पांचों सीटों पर प्रत्याशियों की जोर आजमाइश तेज है और 11 अप्रैल को इन प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा. लोकसभा चुनाव इसलिए भी अहम बना हुआ है कि इस चुनाव में कई दिग्गज नेताओं की साख दांव पर लगी हुई है. वहीं वोटर मतदान के दिन अपना अमूल्य वोट देकर इन नेताओं के हार और जीत का फैसला करेंगे. वहीं लोगों का मौन प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ा रहा है.

जानकारी देते स्थानीय जनता और वरिष्ठ स्तंभकार सुशील कुमार.

वरिष्ठ स्तंभकार सुशील कुमार ने ईटीवी संवाददाता प्रगति पचौली से मतदान और लोकतंत्र के बारे में विस्तार से वार्ता की. सुशील कुमार ने मतदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मतदान करना हर व्यक्ति का नैतिक अधिकार है. हर नागरिक को अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करना चाहिए. मताधिकार देश के हर आम नागरिक का अधिकार ही नहीं नैतिक धर्म भी है.उन्होंने कहा कि ब्रिटिश संसद ने 1935 के अधिनियम के तहत राज्यों के प्रबंधन के लिए मतदान की शुरुआत कराई थी. जिसके बाद 1937 में पहली बार देश में मतदान हुआ था.

जिसमें कांग्रेस की सरकार बनी थी. वहीं साल 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से देश को आजादी मिलने के बाद भारत में पहली बार 1951 और 1952 में लोकसभा और राज्यसभा के प्रतिनिधियों को चुनने के लिए पहली बार मतदान हुआ था. इस दौरान कुल 4500 प्रतिनिधियों को बैलेट पेपर के माध्यम से चुना गया था और पहला वोट हिमाचल प्रदेश के छीनी तहसील में पड़ा था. बता दें कि मतदान के जरिए ही देश का भविष्य तय होता है. क्योंकि मतदाता से ही देश को दिशा और दशा तय होती है.

Last Updated : Mar 30, 2019, 5:57 PM IST

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