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ईको सेंसिटिव जोन को लेकर ग्रामीणों ने जताया विरोध, कहा-गांव का विकास होगा बाधित - ग्रामीणों

सुप्रीम कोर्ट के इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में किसी भी प्रकार की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया है. ऐसे में ग्रामीण लगातार ईको सेंसिटिव जोन को लेकर विरोध कर रहे हैं.

कई इलाकों को ईको सेंसिटिव जोन घोषित किये जाने को लेकर वन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ की बैठक.

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Published : Aug 30, 2019, 11:55 PM IST

ऋषिकेश: उत्तराखंड के कई इलाकों को ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने का ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे हैं. ऐसे में शुक्रवार को वन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ एक बैठक की. इस बैठक में ईको सेंसिटिव जोन को लेकर ग्रामीणों और वनाधिकारियों से सुझाव मांगें गए.

कई इलाकों को ईको सेंसिटिव जोन घोषित किये जाने को लेकर वन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ की बैठक.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में किसी भी तरह की आवाजाही पर रोक लगाई गई है. जिसके बाद से लगातार ग्रामीण सड़कों पर उतरकर इस फरमान का विरोध कर रहे हैं.

वहीं, इस विरोध को देखते हुए वन विभाग ग्रामीणों के बीच सामांज्सय बैठाकर ईको सेंसिटिव जोन को लेकर उनकी प्रतिक्रियाएं ले रहा है. ताकि ईको सेंसिटिव जोन गांव के विकास को बाधित न करे.
इस मामले में विधायक रितु खंडूड़ी ने न्यायालय के समक्ष ग्रामीणों का पक्ष रखकर ईको सेंसिटिव के कार्य को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है. विधायक रितु खंडूरी का कहना है कि न्यायालय का आदेश कोई नहीं ठुकरा सकता लेकिन, जनता का पक्ष और प्रतिक्रियाएं भी जानना आवश्यक है. जिसके बाद ही कोई बीच का रास्ता निकाला जाएगा.

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वहीं, स्थानीय लोगों ने ईको सेंसेटिव जोन का विरोध जताते हुए बताया कि पहले ही गांव विकास की बाट जोह रहा है. ऐसे में अगर ईको सेंसिटिव जोन लागू हो जाता है. तो सालों से चले आ रहे उनके हक हकूक समाप्त हो जाएंगे. साथ ही गांव का विकास भी बाधित होगा.

वहीं, इस मामले में रेंजर अजय उनियाल ने बताया कि शुक्रवार को ग्रामीणों के साथ ईको सेंसिटिव जोन को लेकर चर्चा की गई, जिसमें स्थानीय विधायक भी मौजूद रहीं. उन्होंने कहा कि बैठक में जो भी निष्कर्ष निकलेगा, उसे उच्चाधिकारियों के समक्ष रखा जाएगा. जिसके बाद ही आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

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