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धीरे-धीरे परवान चढ़ रही होम स्टे योजना, बहुरेंगे सीमांत गांव के दिन

पर्यटन को रोजगार से जोड़ने के लिए सरकार के इस फैसले के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन की और अधिक संभावनाएं बढ़ेंगी. राज्य सरकार ने पर्यटन के क्षेत्र में कई महत्त्वाकांक्षी योजनाएं आरंभ की हैं

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Published : Aug 11, 2019, 7:12 AM IST

Updated : Aug 11, 2019, 10:32 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में होम स्टे योजना देर से ही सही लेकिन परवान चढ़ने लगी हैं. पर्यटन विभाग के पास अब तक होम स्टे योजना के लिए 1435 और पंडित दीन दयाल होम स्टे योजना के तहत 325 आवेदन आ चुके हैं. शासन के आला अधिकारियों की मानें तो होम स्टे योजन का ज्यादा असर सीमांत इलाकों में देखने को मिल रहा है. इसके पीछे की प्रमुख वजह उत्तराखंड में बढ़ता पर्यटन है. साथ ही नीतिगत योजना के तहत लोगों को दी जा रही सुविधाएं.

धीरे-धीरे परवान चढ़ रही होम स्टे योजना,

उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार ने पलायन, रोजगार और पर्यटन सभी को एक सूत्र में पिरोते हुए होम स्टे योजना की शुरुआत की थी. प्रदेश में पलायन रोकने और रोजगार सृजित करने के उद्देश्य से शुरू की गई इस योजना तहत उत्तराखंड में 2020 तक 5 हजार होम स्टे बनाने का लक्ष्य रखा गया है. शुरुआती दौर में इस योजना को धरातल पर उतारने के दौरान कई तकनीकी समस्याएं भी समाने आई, लेकिन अब शायद लगता है कि जिस उद्देश्य और परिकल्पना के साथ इस योजना को लाया गया था, सरकार को उसमें सफलता मिल रही है.

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1435 लोगों ने करवाया रजिस्ट्रेशन
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर की मानें तो विभाग का इस योजना पर विशेष फोकस है. अब तक विभाग के पास होम स्टे योजना से जुड़ने के लिए 1435 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है, जो ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीके से किए गए.

पंडित दीनदयाल होम स्टे योजना
योजना को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने पंडित दीनदयाल होम स्टे योजना भी संचालित की है. इसके तहत ग्रामीण अपने घर में अतिरिक्त कमरा या फिर शौचालय बनाने के लिए इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. इसके लिए सब्सिडी का प्रावधान रखा गया है. इसके लिए सभी जनपदों में जिला अधिकारियों ने जिला स्तर पर समिति का गठन किया गया है. इस योजना के तहत अभी तक 325 आवेदन आ चुके हैं. जिनका परीक्षण कर उन्हें बैंकों को भेजा जा रहा है.

कार्यशाला में दिया जा रहा है प्रशिक्षण
इसके साथ ही होम स्टे योजना को व्यवसायिक रूप देने के लिए पर्यटन विभाग की तरफ से कार्यशाला भी आयोजित की जा रही है, जहां होम स्टे स्वामियों को 5 दिन का मॉड्यूल प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसमें ऑनलाइन मार्केटिंग हॉस्पिटैलिटी, स्वच्छता, बातचीत का तरीका और स्थानीय संस्कृति व परंपरा को बढ़ाने के गुण सिखाए जाते है.

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होम स्टे योजना के सबसे ज्यादा असर सीमांत गांव में देखने को मिल रहा है. पर्यटन सचिव हाल ही में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के साथ पिथौरागढ़ गए थे. वहां के बारे में जानकारी देते हुए पर्यटन सचिव ने बताया कि पिथौरागढ़ के सीमांत इलाकों में होम स्टे को लेकर बहुत अच्छा काम हो रहा है. जिसकी एक बड़ी वजह मानसरोवर यात्रा भी है.

उत्तराखंड के बुग्यालों (घास के मैदान) पर लगी पाबंदी के बाद भी होम स्टे योजना को बढ़ावा मिला है. पर्यटन सचिव ने बताया कि खासतौर से ट्रैकिंग रूट्स के आस-पास के गांव में होम स्टे को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है. इसके अलावा बुग्यालों में लगी पाबंदी की वजह से टेंट न लगने के कारण लोग होम स्टे की ओर रुख कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे कुछ दिन पहले दयारा बुग्याल गए थे. वहां उन्होंने देखा कि रैथल से 20 और बारासू से 15 होम स्टे के आवेदन पर्यटन विभाग के पास आ चुके हैं. इसे देखते हुए लगता है कि पलायन को रोकने के लिए होम स्टे की जो योजना शुरू की गई थी वो साकार हो रही है. विभाग इस दिशा में आगे बढ़ रहा है.

Last Updated : Aug 11, 2019, 10:32 AM IST

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