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विकासनगरः राष्ट्रीय स्मारक घोषित हुआ अश्वमेघ यज्ञ स्थल, अब बदलेगी तस्वीर

विकासनगर के जगत ग्राम बाड़वाला में स्थित ऐतिहासिक अश्वमेघ यज्ञ स्थल को राष्ट्रीय स्मारक की सूची में शामिल किया गया है. इस स्थल पर तीसरी शताब्दी की कई वेदिकाएं भी मौजूद हैं. वहीं, इस स्थल को राष्ट्रीय स्मारक में शामिल करने के बाद पर्यटकों का आवागमन बढ़ने की उम्मीद है. साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

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Published : Aug 21, 2019, 11:13 PM IST

अश्वमेघ यज्ञ स्थल

विकासनगरःपछवा दून के बाड़वाला में स्थित अश्वमेघ यज्ञ स्थल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है. ये स्थल आजतक पर्यटकों से अछूता था. जिससे पौराणिक स्थल अपना पहचान नहीं बना पा रहा था. इतना ही नहीं राष्ट्रीय स्मारक घोषित ना होने के कारण पुरातत्व विभाग भी इस स्थल की सही ढंग से देखभाल नहीं कर पा रहा था, लेकिन अब इसे राष्ट्रीय स्मारक की सूची में शामिल किया गया है. ऐसे में अब पर्यटकों की तादाद बढ़ने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है.

राष्ट्रीय स्मारक घोषित हुआ अश्वमेघ यज्ञ स्थल.

बता दें कि, जगत ग्राम बाड़वाला में पुरातात्विक खनन कार्य के दौरान तीसरी शताब्दी की कई वेदिकाएं निकलीं थी. जिसके बाद इस स्थान को आर्कियोजिकल साइट के रूप में पुरातत्व विभाग ने अपने पास ले लिया था. उस दौरान इसे राष्ट्रीय स्मारक बनाने के लिए अंतरिम अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी, लेकिन इस स्थल को पूर्ण रूप से राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा नहीं मिल सका था.

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वहीं, अब इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है. ऐसे में अब कयास लगाए जा रहे हैं कि इससे आसपास के क्षेत्रों में तेजी से विकास कार्य होंगे. अश्वमेघ यज्ञ स्थल बागानों के बीच में स्थित है. इस स्थल तक पहुंचने के लिए कोई सही मार्ग भी नहीं है. ऐसे में पर्यटकों को यज्ञ स्थल तक पहुंचने के लिए आम के बागों के बीच में पैदल चलना पड़ता है.

स्थानीय लोग बीते लंबे समय से इस स्थल तक जाने वाले रास्ते को बनाने की मांग कर रहे हैं. स्थानीय निवासी प्रीति का कहना है कि अश्वमेघ यज्ञ स्थल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के बाद इस स्थल की तस्वीर बदलेगी और पर्यटकों का आवागमन भी बढ़ेगा. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

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माना जाता है कि जगत ग्राम बाड़वाला क्षेत्र में शील बर्मन नामक परम शक्तिशाली राजा राज करते थे. उन्होंने ही जगत ग्राम में चार अश्वमेघ यज्ञ किए थे. उनका साम्राज्य सबसे महत्वपूर्ण काल तीसरी शताब्दी का था. जिसे अब राष्ट्रीय स्मारक की सूची में डाला गया है.

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