देहरादून: उत्तराखंड में अभी से साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं. चर्चा ये है कि भाजपा सरकार के 5 साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही चुनाव कराने पर विचार कर रही है. जी हां, इसे लेकर इन दिनों चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है. कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को चुनाव न लड़ाना पड़े, इसके लिए पूरी सरकार को भंग कर इसी साल राज्य में विधानसभा चुनाव कराये जा सकते हैं. आखिर इसके पीछे की वजह और वास्तविकता क्या है इसे लेकर हमने कई जानकारों से बात की.
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद साल 2022 में पांचवीं विधानसभा का चुनाव होना है. जिसे देखते हुए राज्य सरकार वर्तमान साल को चुनावी वर्ष घोषित कर चुकी है. इसी के तहत राज्य सरकार योजनाओं को धरातल पर उतारने के साथ ही भाजपा के कैबिनेट मंत्रियों समेत दायित्वधारियों का प्रदेश भ्रमण कार्यक्रम भी तय कर चुकी है, ताकि आगामी विधानसभा के चुनाव को जीता जा सके. वहीं, विपक्षी दल भी दमखम से तैयारियों में जुटे हुए हैं.
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जहां एक ओर उत्तराखंड राज्य में इन दिनों आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं. वहीं, दूसरी ओर राज्य सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही चुनाव कराने पर विचार कर रही है. मुख्य रूप से देखें तो राज्य सरकार, दो बिंदुओं पर खासकर फोकस कर रही है. पहला यह कि कार्यकाल पूरा होने से 6 महीने पहले चुनाव करा दिया जाए या फिर कार्यकाल पूरा होने के बाद जब साल 2022 में चुनाव होगा उस दौरान ही चुनाव पर फोकस हो. इन दोनों पहलुओं को लेकर राज्य सरकार रणनीतियां बनाने में जुटी हुई है. यही नहीं, खासकर राज्य सरकार इस पर फोकस कर रही है कि कब चुनाव कराने से उन्हें ज्यादा फायदा हो सकता है.
जो हरीश रावत नहीं कर पाए वो करेंगे तीरथ?
साल 2016 में हरीश रावत की सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने बहाल कर दिया था. जिसके कुछ महीने ही वे सरकार चला पाए थे. फिर साल 2017 में विधानसभा के चुनाव आ हो गये. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस को करारी हार मिलने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म था कि जब साल 2016 में हरीश रावत की सरकार, सुप्रीम कोर्ट से बहाल हुई थी तो उस दौरान ही अगर हरीश रावत सरकार को भंगकर विधानसभा का चुनाव करा देते तो शायद कांग्रेस दोबारा सत्ता पर काबिज हो जाती. ऐसा ही कुछ समीकरण उत्तराखंड राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के बाद देखा जा रहा है. अब भाजपा को डर है कि अगर साल 2022 में ही विधानसभा के चुनाव होते हैं तो उस दौरान भाजपा को दोबारा सत्ता में आने में समस्याएं खड़ी हो सकती हैं.
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उपचुनाव होने के चलते काम करने का नहीं मिलेगा समय
साल 2022 में विधानसभा का चुनाव होना है. जिसमें महज 8 महीने का ही वक्त बचा है. इसी बीच राज्य में कई उपचुनाव भी होने हैं. मुख्य रूप से सल्ट उपचुनाव पर भाजपा फोकस कर रही है. इसके बाद अगर तीरथ सिंह रावत साल 2022 में ही विधानसभा चुनाव कराने पर फोकस रखते हैं तो सितंबर से पहले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को भी विधानसभा का चुनाव लड़ना होगा. अगर वह विधानसभा का चुनाव लड़ते हैं तो ऐसे में पौड़ी लोकसभा की सीट खाली हो जाएगी. जिस पर भी उपचुनाव कराने होंगे. ऐसे में इन उपचुनावों के बीच राज्य सरकार चुनाव जीतने के लिए तमाम कार्यक्रमों को भी आयोजित करेगी. जिसके चलते राज्य सरकार के पास काम करने का समय नहीं बचेगा.
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मुख्यमंत्री के चुनाव लड़ने पर जीतने की उम्मीद कम