देहरादून: काशीपुर से आने वाली मुस्लिम महिला सायरा बानो ने अकेले पूरे समाज से लड़कर ट्रिपल तलाक कानून के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद किया था. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई और बाद में ट्रिपल तलाक मामले में बड़ा फैसला आया. ट्रिपल तलाक पर फैसला आने के बाद मुस्लिम समुदाय की महिलाओं की तरफ से अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली और काफी हद तक इस कानून को स्वीकार किया गया. महिला आयोग की उपाध्यक्ष सायरा बानो आज भी उस लड़ाई को निरंतर बनाए हुए हैं. इस साल नवंबर में उनका 3 साल का कार्यकाल खत्म हो रहा है.
पहले ट्रिपल तलाक के खिलाफ जीती ऐतिहासिक जंग, अब सायरा बानो ने बदली 23 महिलाओं की किस्मत
उत्तराखंड महिला आयोग की उपाध्यक्ष सायरा बानो का 3 साल का कार्यकाल खत्म हो रहा है. इसी बीच उन्होंने बताया कि ट्रिपल तलाक के मामले में वो 23 महिलाओं की मदद कर चुकी हैं और तकरीबन दो दर्जन ट्रिपल तलाक के मामलों पर परिवारों की काउंसलिंग करवा कर आपसी सुलह कराई गई.
महिला आयोग की उपाध्यक्ष सायरा बानो ने बताया कि वर्ष 2019 में मिली जिम्मेदारी के बाद लगातार वह गरीब तबके की महिलाओं के बीच में काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि ट्रिपल तलाक कानून आने के बाद भी उत्तराखंड के मैदानी इलाके जैसे हरिद्वार और उधमसिंह नगर के कई इलाकों की महिलाओं को इससे संबंधित जागरूकता नहीं है, जिसको लेकर अभी और जागरूकता लाने की जरूरत है.
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सायरा बानो ने बताया कि जबसे उन्होंने उत्तराखंड में महिला आयोग के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली है, उसके बाद उनके द्वारा कई परिवारों की काउंसलिंग करवाई गई और इन परिवारों को टूटने से बचाया गया. उन्होंने बताया कि अब तक वह ट्रिपल तलाक के मामले में 23 महिलाओं की मदद कर चुकी हैं और तकरीबन दो दर्जन ट्रिपल तलाक के मामलों पर परिवारों की काउंसलिंग करवा कर आपसी सुलह कराई गई. साथ ही उन्होंने कहा कि उनके द्वारा ह्यूमन ट्रैफिकिंग में फंस चुकी कई युवतियों को भी बचाया गया और आज वह नारी निकेतन में अपना जीवन यापन कर रही हैं.
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