देहरादून: भारत और चीन की तनातनी के बीच ETV भारत आपको एक ऐसी जानकारी देने जा रहा है, जिसके बारे में शायद ही आपको पता होगा. उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र में एक ऐसी जड़ी-बूटी पाई जाती है. जिसके लिए चीन कुछ भी करने को तैयार है और चीन द्वारा लगातार इसकी डिमांड की जाती है. कहा जाता है कि यह जड़ी-बूटी चीन के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है. क्योंकि इस जड़ी-बूटी का व्यापार करके चीन हर साल करोड़ों रुपए कमाता है. कीड़ा जड़ी नाम की यह जड़ी-बूटी उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाई जाती है.
उत्तराखंड को प्रकृति का तोहफा
उत्तराखंड को प्रकृति ने कई अनमोल तोहफों से नवाजा है. हिमालयी क्षेत्रों में हजारों प्रकार की जड़ी-बूटियां भी पाई जाती हैं. बड़ी से बड़ी बीमारियों से निजात दिलाने और दवा बनाने में इनका उपयोग होता है. इन्हीं जड़ी-बूटियों में शामिल है कीड़ा जड़ी. जी हां, ये कीड़ा जड़ी 3,600 फीट से लेकर 5,000 फीट तक की ऊंचाई पर पाई जाती है. पहाड़ी क्षेत्रों से कीड़ा जड़ी निकालने के लिए जाने वाले ग्रामीण ऊंची बुग्याल यानी घास के मैदानों का रुख कर लेते हैं और वहां तंबू बना कर रहते हैं. करीब 2 महीने तक वहीं रहकर कीड़ा जड़ी का चुगान करते हैं.
क्या है कीड़ा जड़ी ?
कीड़ा जड़ी उच्च हिमालई क्षेत्रों में पाई जाती है. कीड़ा जड़ी एक प्रकार का फंगस है, जो उच्च हिमालई क्षेत्रों में पाए जाने वाले कीड़े के शरीर से बाहर निकलता है. हिमालय क्षेत्र में पाई जाने वाली अन्य जड़ी-बूटियों के जड़ को खाकर कीड़े जीवित रहते हैं और इन्हीं कीड़ों में फंगस लग जाने के बाद यह फंगस धीरे-धीरे कीड़ों को अंदर से खाना शुरू कर देते हैं. ये फंगस कीड़े को मार देता है और फिर जो कीड़े के ऊपर का हिस्सा बचता है तो वह कीड़ा-जड़ी कहलाता है. भारत में अभी तक दुर्गम क्षेत्रों में पाए जाने वाले कीड़ों पर कोई रिसर्च नहीं की गई है, लेकिन इस जड़ी का चीन में बहुतायत में इस्तेमाल किया जाता है.
तिब्बत के ग्रंथों में भी कीड़ा-जड़ी से जुड़ी जानकारियां
कीड़ा-जड़ी की जानकारी 15वीं शताब्दी में तिब्बत के ग्रंथों में मिली थी. इसमें कीड़ा-जड़ी को सभी बीमारियों के इलाज लिए उपयोगी बताया गया था. इसके बाद धीरे-धीरे कीड़ा जड़ी का क्रेज चीन में बढ़ने लगा. चीन में इसका प्रयोग थकान खत्म करने और सेक्स पावर बढ़ाने वाली दवा के रूप में किया जाता रहा है. 1990 में चीन के एथलीटों ने जबरदस्त परफॉर्मेंस दिया था. जिसके बाद उनके कोच ने दावा किया था कि कीड़ा-जड़ी खाने की वजह से ही एथलीटों की परफॉर्मेंस बढ़ गई थी. इसके बाद धीरे-धीरे कीड़ा-जड़ी का इस्तेमाल मेडिसिन के रूप में किया जाने लगा और सबसे अधिक इसका व्यापार चीन में बढ़ने लगा. यही वजह है कि कीड़ा-जड़ी चीन का सोना भी कहलाती है.
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