देहरादून: नई शिक्षा नीति को लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है. केंद्र सरकार से मंजूरी मिलते ही उत्तराखंड में नई शिक्षा नीति के अनुसार ही स्कूल पढ़ाई कराई जाएगी. केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अधिकारियों को 100 दिन के भीतर उत्तराखंड में नई शिक्षा नीति को लागू करने का निर्देश दिए थे. इसको लेकर वे लगातार अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक भी कर रहे हैं और पूरे मामले का अपटेड ले रहे हैं.
शिक्षा विभाग की अधिकारियों की माने तो जुलाई से नई शिक्षा नीति प्रदेश में लागू कर दी जाएगी. इसकी शुरुआत आंगनबाड़ी केंद्रों में बाल वाटिका की कक्षाओं के संचालन से शुरू होगी. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अब पुष्टाहार बांटने तक सीमित नहीं रहेंगी. बाल वाटिका (प्री-नर्सरी) के माध्यम बच्चों को अक्षर और संख्या ज्ञान कराएगी.
आंगनबाड़ी केंद्रों में लगेगी बाल वाटिका पढ़ें- क र्ज के बोझ में दबता उत्तराखंड, खाली तिजोरी पर देनदारी भारी, वित्तीय हालात चिंताजनक शिक्षा विभाग की तरफ से बेसिक शिक्षा में सुधार के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी कक्षाएं संचालित कराने के लिए पूरा खाका तैयार कर लिया गया है. इसके साथ ही इन बाल वाटिकाओं की कक्षाओं के लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. शिक्षा विभाग में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) निदेशक सीमा जौनसारी का कहना है कि 1 जुलाई से सरकारी विद्यालयों के कैंपस में चल रहे 5000 आंगनबाड़ी केंद्रों में बाल वाटिका की कक्षाओं का शुभारंभ किया जाएगा.
निदेशक सीमा जौनसारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और आइसीबीएस तीनों विभागों के समन्वय से पाठ्यक्रम तैयार किया गया है, जो कि जल्द ही मुद्रिता होकर उनके पास पहुंच जाएगा. जौनसारी ने कहा कि यह पहला वर्ष है. उम्मीद है कि बच्चों को किताबें पसंद आएगी और उसके बाद क्या परिणाम सामने आते हैं. उस पर आगे की कार्यवाही की जाएगी और प्रयास रहेगा कि नौनिहालों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा दी जाएगी. प्रयास यही किया जा रहा है कि आंगनबाड़ी केंद्रों से निकलकर जब बच्चे पहली क्लास में एडमिशन लें तो उन्हें पूरा प्रारंभिक ज्ञान हो.