देहरादून/मसूरी/रामनगर: आज से देश में एक नये युग की शुरूआत हो गई है. भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्य पूजा की और इस ऐतिहासिक कार्य की आज अयोध्या साक्षी बनी है. करोड़ों राम भक्तों का सालों का इंतजार आज पूरा हो गया. भले ही भगवान राम का मंदिर अयोध्या में बनाने जा रहा हो. लेकिन भगवान श्रीराम का देवभूमि उत्तराखंड से भी गहरा नाता रहा है. चाहे वो राम मंदिर आंदोलन की बात हो या फिर भगवान श्रीराम से जुड़े ऐतिहासिक महत्व की, उत्तराखंड हर तरह से श्रीराम से जुड़ा हुआ है. पौराणिक मान्यता की करें तो देवप्रयाग में भागीरथी और अलंकनंदा के संगम तट यानि देवप्रयाग में भव्य रघुनाथ मंदिर में भगवान राम का वास माना जाता है.
देवप्रयाग का है एतिहासिक और पौराणिक महत्व
देवप्रयाग के समीप बना रघुनाथ राम मंदिर इस बात का प्रयत्क्ष प्रमाण है कि भगवान राम मां गंगा के उदगम स्थल देवप्रयाग पहुंचे थे. ऐसी भी मान्यता है कि यहां उन्होंने ब्रह्म हत्या से दोष का निवारण चाहते हुए इस क्षेत्र में सालों तक घोर तप भी किया था. यही वजह है कि दक्षिण भारत के साधु संत तक इस मंदिर में भगवान श्रीराम का जप करते हैं. तपोभूमि और देवों की धरती कही जाने वाली देवभूमि उत्तराखंड के देवप्रयाग में भगवान श्री राम के श्री रघुनाथ मंदिर में भगवान राम की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री राम ने देवप्रयाग में एक रात विश्राम किया था. धर्माचार्य सुभाष जोशी बताते हैं कि उत्तराखंड में देवताओं का वास है, श्रीराम प्रसंग के बारे में वे बताते हैं कि पौराणिक रघुनाथ मंदिर में भगवान विष्णु राम के रूप में विराजते हैं.
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भगवान राम का अलैकिक है रूप
वे बताते हैं कि 'स्कंद पुराण' के केदारखंड में उल्लेख है कि त्रेता युग में ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति के लिए श्रीराम ने देवप्रयाग में तप किया और विश्वेश्वर शिवलिंगम की स्थापना की. इसलिए यहां रघुनाथ मंदिर की स्थापना हुई. यहां श्रीराम के रूप में भगवान विष्णु की पूजा होती है. रघुनाथ मंदिर के गर्भगृह में श्याम पाषाण निर्मित छह फीट ऊंची चतुर्भुज मूर्ति विराजमान है, लेकिन पूजा करते हुए मूर्ति की दो बाहों को ढंक दिया जाता है. यह अलौकिक मंदिर अन्य मंदिरों की तरह किसी चट्टान या दीवार पर टिका न होकर गर्भगृह के केंद्र में स्थित है. परिसर के परिक्रमा पथ पर शंकराचार्य, गरुड़, हनुमान, अन्नपूर्णा व भगवान शिव के छोटे-छोटे मंदिर हैं. परिसर में राजस्थानी शैली की एक छतरी भी है, जहां समारोह के दौरान प्रार्थना की जाती है.
राम मंदिर आंदोलनों की भूमि रही है उत्तराखंड
वहीं बात अगर रामनगर की करें तो यहां से भी राम जन्म भूमि के आंदोलन की एक कड़ी जुड़ी है. जिसका संबंध विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क से है. मंदिर आंदोलन के दौर में 3 बड़े नेताओं को कॉर्बेट के बिजरानी जोन में बनाई गई अस्थाई जेल में कैद किया गया था. रामनगर के व्यवसायी अतुल मेहरोत्रा बताते है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निर्देश पर बिजरानी गेस्ट हाउस को अस्थाई जेल बनाया गया था. मुख्यमंत्री के आदेश थे कि जिन तीन लोगों को यहां भेजा जा रहा है, उन्हें जनता से दूर रखा जाय.
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