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विवि कर्मचारी महासंघ ने पूछा 14 साल से दून विवि में क्यों डटे हैं रजिस्ट्रार, की तबादले की मांग

उत्तराखंड विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ सालों से एक ही विश्वविद्यालय में जमे अधिकारियों के खिलाफ खड़ा हो गया है. दून विश्वविद्यालय में 14 साल से जमे रजिस्ट्रार के बहाने विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ ने दूसरे राज्य विश्वविद्यालयों में डटे ऐसे ही अधिकारियों के ट्रांसफर की भी मांग की है.

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Published : Jun 23, 2023, 6:39 AM IST

देहरादून: 14 सालों से एक ही विश्वविद्यालय में कार्यरत कुलसचिव की तैनाती पर सवाल खड़े हो गए हैं. विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ ने इसे अनैतिक और असंवैधानिक बताते हुए उक्त कुलसचिव के ट्रांसफर की मांग की है.

14 साल से एक ही यूनिवर्सिटी में जमे अधिकारी: उत्तराखंड विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ ने उत्तराखंड के सभी राजकीय स्टेट यूनिवर्सिटी में तैनात कुलसचिव, उप कुलसचिव और सहायक कुलसचिव के लंबे समय से एक ही यूनिवर्सिटी में अपॉइंट रहने और ट्रांसफर एक्ट के तहत ट्रांसफर ना होने पर सवाल खड़े किए हैं. इस विषय को लेकर यूनिवर्सिटी कर्मचारी संगठन ने सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगोली को एक पत्र लिख कर इसका संज्ञान लेने की मांग की है.

विवि कर्मचारी महासंघ ने बताया नियमों का उल्लंघन: कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष कुलदीप सिंह और महामंत्री डॉ लक्ष्मण सिंह रौतेला ने बयान जारी कर कहा है कि उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय केंद्रीयित सेवा नियमावली 2006 के तहत राजकीय विश्वविद्यालयों में कुलसचिव, उप कुलसचिव एवं सहायक कुलसचिवों की नियुक्ति शासन द्वारा की जाती है. संगठन ने आरोप लगाया है की कई विश्वविद्यालयों में इसी नियमावली के अधीन कर्मचारी एक ही विश्वविद्यालय में रहते हुए सहायक कुलसचिव, उप कुलसचिव एवं कुलसचिव के पदों पर प्रमोशन पा रहे हैं, जो कि नियम के विरुद्ध है.

14 साल से दून विवि में डटे हैं रजिस्ट्रार: कर्मचारी संगठन ने दून विश्वविद्यालय का उदाहरण दिया है. बताया गया है कि यहां कुलसचिव पिछले 14 सालों से इसी यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं. उनकी नियुक्ति सहायक कुलसचिव के रूप में 2009 में हुई थी. इसके बाद उन्हें प्रमोशन मिला, लेकिन वह उसी विश्वविद्यालय में उप कुलसचिव बन गए. यही नहीं इसके बाद एक बार और पदोन्नति ले कर वह इसी विश्वविद्यालय में कुलसचिव पद पर नियुक्त कर दिए गए. कर्मचारी संगठन का कहना है कि दून यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार शुरू से लेकर अब तक इसी विश्वविद्यालय में तैनात हैं, जोकि शासकीय नियमों के बिल्कुल खिलाफ है.
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वाइस चांसलर ने मामले से झाड़ा पल्ला: इस पूरे मामले पर उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत से जानकारी लेनी चाही तो पता चला कि वह राज्य से बाहर हैं. वहीं दोनों यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉक्टर सुरेखा डंगवाल से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 के बाद से कुलसचिव की नियुक्ति वाइस चांसलर के अधीन नहीं है. इसलिए वह इस मामले पर किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं कर सकती हैं.

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