देहरादून: उत्तराखंड के ट्रांसपोर्टर इन दिनों राज्य सरकार की दोहरी नीतियों से काफी नाराज चल रहे हैं. जिसकी मुख्य वजह यह है कि राज्य में रजिस्टर्ड माल वाहकों को 16 टन से ज्यादा माल ढोने की अनुमति नहीं है जबकि दूसरे राज्यों के वाहन मात्र नेशनल परमिट के आधार पर 18 से 20 टन तक माल की ढुलाई कर रहे हैं. अमूमन तौर पर राज्य अपने यहां के कारोबारियों को ज्यादा सुविधाएं देने की कोशिश करता है, लेकिन उत्तराखंड परिवहन विभाग अपने ही राज्य के कारोबारियों को नुकसान पहुंचा रहा है.
राज्य में रजिस्टर्ड होने वाले मालवाहक वाहनों को नेशनल परमिट बनाने के लिए 15 हजार रुपये की फीस देनी होती है. इसके साथ ही हिल परमिट के लिए अलग से अनुमति लेनी होती है. जिसके तहत पांच साल के लिए छह हजार रुपये देने होते हैं. यही नहीं राज्य में रजिस्टर्ड होने वाले मालवाहकों को परिवहन विभाग 16 टन वजन तक ही ढुलाई की अनुमति देती है. तो वहीं नेशनल परमिट के आधार पर वाहन पूरे देश में 18 टन वजन के साथ चल सकते हैं.
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