देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम(Uttarakhand Transport Corporation) साल दर साल घाट में डूबता जा रहा है. ऐसे में अब परिवहन निगम ने अपने अस्तित्व को बचाने के लिए एक और कदम बढ़ाने जा रहा है. जिसके तहत उत्तर प्रदेश के जमाने से चली आ रही रोडवेज के नियमों में बदलाव करने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए परिवहन निगम ने प्रबंध निदेशक के मुख्यालय स्तर के अधिकारियों का एक अध्ययन दल बनाया है. जो रोडवेज की इनकम बढ़ाने और खर्चों को कम करने के लिए अपने सुझाव देगी.
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9 नवंबर 2000 में राज्य गठन के बाद साल 2003 में उत्तराखंड परिवहन निगम का गठन हुआ था. उस समय से ही उत्तर प्रदेश के नियम को ही उत्तराखंड रोडवेज में लागू किया गया है. ऐसे में अब परिवहन निगम के अस्तित्व को बचाने के लिए परिवहन निगम इन नियमों में बदलाव करने की कवायद में जुट गई है. जिसकी मुख्य वजह है कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां भिन्न है. लिहाजा प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश में रोडवेज के नियम बनाए जाएंगे.
बता दें कि उत्तराखंड परिवहन निगम अस्तित्व में आने के बाद से ही लगातार घाटे में चल रहा है. हालांकि साल 2003-04 में तो रोडवेज को कोई घाटा नहीं हुआ. लेकिन उसके बाद से ही साल दर साल रोडवेज का घाटा बढ़ता चला गया. अब आलम ये है कि रोडवेज अभी तक करोड़ों रुपए के घाट में डूबा हुआ है. तो वहीं वर्तमान समय में निगम के ऊपर करोड़ों रुपए की देनदारी भी चल रही है. क्योंकि अभी तक परिवहन कर्मचारियों को 5 महीने का वेतन नहीं दिया गया है. इसके साथ ही अन्य देनदारी अलग है.