ऋषिकेश:उत्तराखंड परिवहन निगम का देहरादून-ऋषिकेश मार्ग स्थित डीजल पंप पांच साल बाद भी चालू नहीं हो पाया है. शासन में पंप भूमि के सर्किल रेट के हिसाब से करीब दो करोड़ रुपए माफ किए जाने संबंधी चिट्ठी शहरी आवास सचिव के कार्यालय में धूल फांक रही है, जिसके चलते पहले से ही घाटे में चल रहे निगम को एक से डेढ़ लाख को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
दरअसल, साल 2017 में परिवहन निगम ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के माध्यम से देहरादून-ऋषिकेश मार्ग स्थित ऋषिकेश रोडवेज डिपो की वर्कशॉप भूमि पर डीजल पंप स्थापित किया गया था. वहीं, पंप संचालित करने के लिए निगम ने पांच विभागों से अनापति प्रमाण पत्र हासिल किया, लेकिन तत्कालीन हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण (HRDA) ने वर्कशॉप भूमि कुंभ क्षेत्र होने के चलते लैंड यूज चेंज कराने के पत्र के साथ एनओसी को पत्र लौटा दिया, जिसके बाद यह लैंड यूज चेंज का यह मामला शासन और फिर कैबिनेट पहुंचा.
कैबिनेट ने वर्कशॉप में डीजल पंप की भूमि का लैंड यूज चेंज करने का प्रस्ताव पारित किया, लेकिन इसपर सचिव आवास ने यह शर्ते अंकित कर शासनादेश जारी कर दिया कि संबंधित भूमि का 100 प्रतिशत सर्किल के मुताबिक रकम निगम को जमा करानी होगी. ऐसे में करीब दो करोड़ रुपए जमा कराने की चिट्ठी निगम मुख्यालय पहुंची, तो साल 2017 में तत्कालीन एमडी बृजेश कुमार संत ने फिर से एक पत्र सचिव शहरी आवास को लिखकर यह धनराशि भी माफ करने के लिए कहा. बावजूद, पांच साल बाद भी सचिव शहरी आवास इसपर कोई एक्शन ने ले पाए हैं. लिहाजा, निगम के ऋषिकेश डिपो 70 बसों को रोजाना प्राइवेट पेट्रोल पंप से डीजल बाजार मूल्य पर खरीदना पड़ रहा है.