मसूरी:उत्तराखंड होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन, उत्तराखंड टैक्सी-मैक्सी एसोसिएशन और मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन ने प्रदेश के पर्यटन व्यवसाय को लेकर चिंता व्यक्त की है. सभी ने एक सुर में कहा कि प्रदेश में पर्यटन व्यवसाय खत्म होने की कगार पर है. अगर राज्य सरकार ने जल्द ही पर्यटन व्यवसाय जीवित करने के लिये ठोस कदम नहीं उठाये तो इससे जुड़े एसोसिएशन एक मंच पर आकर प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन करने के लिये मजबूर होंगे.
कोरोना काल में पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह से ठप- संदीप साहनी
उत्तराखंड होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संदीप साहनी का कहना है कि कोरोना काल में प्रदेश का पर्यटन व्यवसाय पूरी तरीके से ठप हो गया है. प्रदेश के 30 फीसदी रेस्टोरेंट और 15 फीसदी होटल बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने पर्यटन व्यवसाय को लेकर स्पष्ट नीति नहीं बनाई, जिस वजह से पर्यटन व्यवसाय प्रभावित हो रहा है.
साहनी ने कहा कि साल 2013 की आपदा के बाद राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले लेकर पर्यटन व्यवसाय को जीवित किया था, जिसमें भी 4 से 5 साल लगे थे. उन्होंने कहा कि प्रदेश के पर्यटन व्यवसाय से करीब 50 प्रतिशत लोगों की आर्थिकी जुड़ी हुई है. ऐसे में अगर पर्यटन व्यवसाय प्रभावित होता है तो उससे प्रदेश में पलायन के साथ आर्थिकी की बड़ी समस्या उत्पन्न होने वाली है.
संदीप साहनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के आर्थिक संकट को देखते हुए ये कहा था कि जान भी बचानी है, और जहान को भी बचाना है. जिसको लेकर उन्होंने आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन आर्थिक पैकेज आज तक धरातल पर देखने को नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में 95 फीसदी होटल और 98 फीसदी व्यवसायिक वाहनों का संचालन ठप हो रखा है. सरकारी गाइडलाइन भी स्पष्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में प्रतिष्ठान बंद हैं, लेकिन बिजली, पानी, टेलीफोन आदि के बिल पहले की तरह ही आ रहे हैं. उनमें किसी प्रकार की कोई छूट नहीं दी गई है.
पढ़ें- बेरीनाग: गलवान का 'शेर' पहुंचा घर, लोगों ने किया अभिनंदन
उन्होंने कहा कि सरकार ने 3 महीने के बिजली के फिक्स चार्ज को माफ किया था, जबकि इसको मार्च 2021 तक बढ़ाया जाना चाहिए. वहीं पानी के बिल में भी 9 फीसदी की वृद्धि कर दी गई है. सीवरेज चार्ज अलग से लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार को अन्य प्रदेशों की तरह आर्थिक संकट को देखते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लेने चाहिए, लेकिन उत्तराखंड सरकार निर्णय लेने में असफल साबित हो रही है.