1- हरीश रावत बोले-लालकुआं चुनाव उनका आखिरी चुनाव, जरूरत पड़ी तो पुराने बैट्समैन करेंगे 'बैटिंग'
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Former Chief Minister Harish Rawat) सोशल मीडिया के माध्यम से कई बार चुनाव ना लड़ने की इच्छा जता चुके हैं. लेकिन उनके आगामी चुनाव लड़ने को लेकर जब मीडिया ने सवाल (Harish Rawat reaction on contesting elections) किया तो उन्होंने इशारों-इशारों में कहा कि क्रिकेट के खेल में कई बार बैट्समैन नहीं होता हैं तो पुराने बैट्समैन को बुलाना पड़ता है.
2- अंकिता भंडारी मर्डर केसः कल होगी आरोपियों के नार्को टेस्ट पर सुनवाई, VIP से खुलेगा राज
अंकिता भंडारी हत्याकांड के तीनों आरोपियों के नार्को टेस्ट पर 12 दिसंबर को सुनवाई होगी. सुनवाई के बाद कोर्ट नार्को टेस्ट पर फैसला सुनाएगा. नार्को टेस्ट के बाद वीआईपी से राज खुलेगा.
3- दायित्व बंटवारे को लेकर यशपाल आर्य ने सरकार को घेरा, कहा- जनता पर पड़ेगा अतिरिक्त बोझ
उत्तराखंड में दायित्व (Responsibility of BJP leaders in government) की आस लगाए बैठे भाजपाइयों की जल्द मुराद पूरी होने वाली है.सरकार में विभिन्न प्राधिकरणों, निगमों व आयोगों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के रूप में सौंपे जाने वाले मंत्री पद के समक्ष दायित्वों को लेकर भाजपा संगठन स्तर पर कसरत शुरू हो गई है. जिसको लेकर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार को घेरने की कोशिश की है.उन्होंने कहा कि कर्ज लेकर प्रदेश सरकार विकास की बात कर रही है, ऐसे में दायित्व धारियों का बंटवारा होता है तो सरकार और जनता पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
4- मंत्री महाराज के फर्जी हस्ताक्षर मामला, हरीश रावत ने ली चुटकी, कहा-फर्जीवाड़े का दोषी कौन है?
पूर्व सीएम हरीश रावत (Former CM Harish Rawat) ने सचिव द्वारा मंत्री सतपाल महाराज के फर्जी हस्ताक्षर मामले में चुटकी लेते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि बहुत दिनों से मैं, सार्वजनिक निर्माण विभाग के एचओडी के प्रकरण को बहुत गहराई से समझने का प्रयास कर रहा हूं. हरीश रावत ने आगे लिखा कि आज हमारी सड़कें अत्यधिक खराब स्थिति में हैं. कारण कई हैं मगर एक कारण विभाग के मुखिया को लेकर चल रहा एक अजीबो-गरीब प्रसंग भी है.
5- हिमाचल फतह से उत्तराखंड कांग्रेस को मिली संजीवनी, निकाय और लोकसभा चुनाव में दिख सकता है असर
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस का जोश हाई है. हिमाचल चुनाव का रण जीतना उत्तराखंड समेत कई राज्यों में कांग्रेस को संजीवनी के तौर पर मिला है. ऐसे में उत्तराखंड में आगामी निकाय और लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेसी पूरे दमखम के साथ चुनाव प्रक्रिया में उतरने जा रहे हैं. दूसरी तरफ भाजपा के लिए परेशानियां बढ़ सकती है.